Mahagathbandhan voter yatra: राहुल-तेजस्वी की यात्रा से पहले नवादा में हड़कंप, मरम्मत की गईं टूटी सड़कें और रातोंरात चमकाए गए गंदे शौचालय

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की आगामी वोटर अधिकार यात्रा से पहले जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गया है।जैसे ही राहुल-तेजस्वी का दौरा तय हुआ, रातोंरात गड्ढों की मरम्मत और सफाई अभियान शुरू हो गया।...

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राहुल-तेजस्वी की यात्रा से पहले हड़कंप- फोटो : reporter

Mahagathbandhan voter yatra:बिहार की राजनीति में यात्रा और जुलूस अब केवल सियासी संदेश का जरिया नहीं, बल्कि प्रशासनिक तत्परता की असली कसौटी बन चुके हैं। इसका ताज़ा उदाहरण नवादा में देखने को मिल रहा है, जहां राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की आगामी वोटर अधिकार यात्रा से पहले जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गया है।यात्रा मार्ग सद्भावना चौक से रजौली बस स्टैंड तक जिसे आम दिनों में टूटी-फूटी सड़कों और गंदगी से भरे शौचालयों के लिए जाना जाता था, अब अचानक ‘स्वच्छ और दुरुस्त’ दिखने लगा है। प्रजातंत्र चौक, प्रसाद बीघा और भगत सिंह चौक से होते हुए नवादा आईटीआई तक का रास्ता पिछले कई महीनों से बदहाल था। लेकिन जैसे ही राहुल-तेजस्वी का दौरा तय हुआ, रातोंरात गड्ढों की मरम्मत और सफाई अभियान शुरू हो गया।

स्थानीय लोग तंज कसते हुए कह रहे हैं—“नेता आएंगे तभी सड़कें चमकेंगी, वरना जनता रोज़ इन्हीं टूटी राहों पर धूल फांकती रहेगी।” विडंबना यह है कि राहुल और तेजस्वी विपक्ष में हैं, फिर भी उनकी यात्रा ने सत्ता पक्ष के अफसरों को इतना सक्रिय कर दिया कि व्यवस्था में तत्काल सुधार दिखने लगा।

जिला प्रशासन की बेचैनी की असली वजह यह है कि राहुल गांधी अपने दौरों में अक्सर स्थानीय अव्यवस्था और सरकारी कमियों को निशाना बनाते रहे हैं। यही कारण है कि अधिकारी हर कोने-कोने को दुरुस्त करने में जुटे हैं ताकि यात्रा के दौरान कोई “गंदगी का सबूत” कैमरे में कैद न हो जाए।

लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सुधार स्थायी होगा? नागरिकों का कहना है कि हर बड़े दौरे से पहले यही नज़ारा देखने को मिलता है सड़कें रातोंरात दुरुस्त होती हैं, नालों की सफाई होती है, शौचालयों में चमक आ जाती है। मगर जैसे ही काफिला गुजर जाता है, हालत फिर वही ढाक के तीन पात हो जाती है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह दृश्य बिहार के उस प्रशासनिक ढांचे को उजागर करता है, जो जनता की दैनिक जरूरतों पर ध्यान देने के बजाय नेताओं की यात्राओं को प्राथमिकता देता है। आम नागरिकों की मांग है कि अगर सरकार और प्रशासन जनता की परेशानियों पर भी “यात्रा से पहले वाली तत्परता” दिखाए, तो बिहार की सूरत बदल सकती है।

राहुल-तेजस्वी की यह यात्रा चाहे विपक्ष की रणनीति हो या लोकतंत्र का नारा, लेकिन नवादा में यह साफ हो गया है कि उनके कदम पड़ते ही सत्ता पक्ष भी हरकत में आ जाता है। असली चुनौती यह है कि क्या ये चमक-दमक उनके जाने के बाद भी कायम रह पाएगी या फिर शहर एक बार फिर पुराने हालात में लौट जाएगा।

रिपोर्ट- अमन कुमार