Court order - कलेक्ट्रेट और सर्किट हाउस पर लगेगा ताला, कोर्ट ने दिया कुर्क करने का आदेश, कार्रवाई के लिए नोटिस किया चस्पा, जानें क्या है पूरा मामला
Court order - कोर्ट ने एक पुराने मामले में समाहरणालय और सर्किट हाउस की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया है. आदेश के बाद दोनों जगहों पर नोटिस चस्पा किया गया है।

Nawada - नवादा व्यवहार न्यायालय ने बड़ा आदेश जारी करते हुए समाहरणालय और सर्किट हाउस की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद दोनों जगहों पर कुर्की के लिए नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है। वहीं कोर्ट के इस आदेश के बाद विभागों में चर्चा भी शुरू हो गई है.
पूरा मामला फुलवरिया जलाशय परियोजना(रजौली) से जुड़ा है। जिसके विस्थापित परिवारों को सालों गुजरने के बाद भी आज तक सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं दिया गया है। जिसको लेकर नवादा कोर्ट सब-जज प्रथम आशीष रंजन की अदालत ने मुआवजा भुगतान में देरी और अदालती आदेशों की अनदेखी को गंभीरता से लेते हुए नवादा समाहरणालय और सर्किट हाउस (परिसदन भवन) को कुर्क करने का आदेश दिया है।
सालों से नहीं हुआ भुगतान
जलाशय परियोजना के चलते विस्थापित हुए दर्जनों परिवारों की भूमि और मकान का मुआवजा वर्षों से लंबित है। इस संबंध में विभिन्न विस्थापितों ने न्यायालय की शरण ली थी। जिनमें प्रमुख वादों में शामिल हैं:
वाद संख्या 09/2021 – गणेश पंडित
वाद संख्या 34/2023 – मंटू रजक
वाद संख्या 04/2024 – किशन कुमार
वाद संख्या 05/2024 – जदू राजवंशी
वाद संख्या 06/2024 – रामप्रसाद पंडित
वाद संख्या 08/2024 – मिश्री धोबी
वाद संख्या 10/2024 – कृष्णा प्रसाद साव
वाद संख्या 13/2024 – नत्थू मियां
इन सभी मामलों में प्रतिवादी के रूप में बिहार सरकार, नवादा जिला समाहर्ता, फुलवरिया जलाशय परियोजना के कार्यपालक अभियंता एवं विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी को शामिल किया गया है।
2015 में कोर्ट ने दिया था मुआवजा का आदेश
वाद संख्या 09/2021 में अदालत ने 2015 में ही गणेश पंडित को ₹6,58,687.21 की मुआवजा राशि देने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक न तो यह राशि दी गई और न ही ब्याज सहित अदायगी की प्रक्रिया शुरू हुई। अदालत ने अब इस राशि पर 15% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान का निर्देश दिया है, जिससे मुआवजा राशि दोगुनी से भी अधिक हो गई है।
कुर्की की प्रक्रिया शुरू
गुरुवार को न्यायालय कर्मी बाल्मीकि प्रसाद ने वादी पक्ष के अधिवक्ता रंजीत कुमार पटेल के साथ नवादा समाहरणालय और सर्किट हाउस की दीवारों पर ढोल बजाकर कुर्की का इश्तेहार चस्पा किया।
वादी पक्ष के अधिवक्ता ने जानकारी दी कि वाद संख्या 03/2022 – शांति देवी व अन्य बनाम बिहार सरकार में भी न्यायालय ने समाहरणालय और परिसदन भवन को कुर्क करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक मुआवजा का भुगतान नहीं हुआ।
पीड़ितों को फिर बनी उम्मीद
विस्थापित परिवार आज भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं, जबकि मुआवजा भुगतान में देरी और अदालती आदेशों की अनदेखी सरकार की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रही है। अदालत के सख्त रुख के बाद अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाता है।