caste census - बिहार के बाद इस राज्य की सरकार कराने जा रही है जातीय गणना, सिर्फ 15 दिन में पूरा होगा सर्वे, आदेश जारी

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Patna - बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण के बाद, जहां केंद्र की मोदी सरकार ने जनगणना में जाति को भी शामिल करने का फैसला लिया है। वहीं उससे पहले कर्नाटक सरकार ने राज्य में नई जाति जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घोषणा की है कि यह सर्वेक्षण 22 सितंबर से अक्टूबर, 2025 तक चलेगा। उन्होंने कहा कि पिछली जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया गया था, इसलिए सरकार ने एक नया सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया है। यह कदम राज्य के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

क्यों हो रही है नई जनगणना?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अनुसार, नई जाति जनगणना का उद्देश्य राज्य के लोगों की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का पता लगाना है। उन्होंने कहा, 'हमें सामाजिक-शैक्षणिक स्थिति जाननी थी, हमने जाति सर्वेक्षण कराया। अब मधुसूदन (अध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग आयोग) और पांच सदस्य सात करोड़ लोगों का डेटा जानने के लिए एक नया सर्वेक्षण करेंगे।' यह सर्वेक्षण पिछड़े वर्गों और समाज के अन्य कमजोर तबकों के लिए सरकारी योजनाओं और नीतियों को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद करेगा।

बिहार के अनुभव से सबक

कर्नाटक का यह कदम बिहार के जाति सर्वेक्षण से प्रेरित लगता है, जिसने देश भर में एक नई बहस छेड़ दी है। बिहार में हुए सर्वेक्षण के बाद राज्य सरकार ने आबादी के विभिन्न जाति समूहों की संख्या और उनकी आर्थिक स्थिति के आंकड़े जारी किए थे। इस सर्वे को लेकर जहां एक तरफ कई राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया, वहीं कुछ ने इसकी पद्धति और वैधता पर सवाल भी उठाए थे। कर्नाटक सरकार संभवतः बिहार के अनुभव से सीख लेकर अपने सर्वेक्षण को और अधिक पुख्ता और विश्वसनीय बनाने का प्रयास करेगी।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

कर्नाटक में होने वाली यह जाति जनगणना राज्य की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकती है। जातिगत आंकड़े सामने आने के बाद आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं की मांगें बढ़ सकती हैं, और इससे राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति में भी बदलाव आ सकता है। यह सर्वेक्षण विभिन्न जाति समूहों के बीच शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।

सर्वेक्षण की प्रक्रिया और समयरेखा

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि इस सर्वेक्षण की जिम्मेदारी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन और उनके पांच सदस्यों की टीम को सौंपी गई है। यह टीम राज्य के सात करोड़ से अधिक लोगों का डेटा एकत्र करेगी। यह सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर, 2025 तक पूरा हो जाएगा। इस कार्य को समय पर पूरा करने के लिए सरकार ने विशेष निर्देश जारी किए हैं।

चुनौतियों और संभावनाएं

कर्नाटक में जाति जनगणना कराना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। सरकार को डेटा संग्रह की सटीकता सुनिश्चित करने, लोगों के सहयोग को बढ़ावा देने और सर्वेक्षण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, अगर यह सर्वेक्षण सफलतापूर्वक संपन्न होता है, तो यह राज्य के विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।