Patna certificate fraud:डॉग बाबू के बाद अब 'डुप्लीकेट दीदी',तीन-तीन निवास प्रमाणपत्र लेकर सिस्टम को दिया नया झटका, अफसर बोले– हमने कुछ नहीं किया, युवती खुद ही माहिर है!"

Patna certificate fraud:बिहार में कागज़ों का खेल अब इतने ‘उच्च स्तर’ पर पहुंच चुका है कि कौन इंसान है, कौन पालतू, कौन स्थानीय है, और कौन बहुस्तरीय — यह तय कर पाना अब अधिकारियों के बस की बात नहीं रही।

Patna certificate fraud:डॉग बाबू के बाद अब 'डुप्लीकेट दीदी',
बिहार में कागज़ों का खेल...- फोटो : Social media

Patna certificate fraud:बिहार में कागज़ों का खेल अब इतने ‘उच्च स्तर’ पर पहुंच चुका है कि कौन इंसान है, कौन पालतू, कौन स्थानीय है, और कौन बहुस्तरीय यह तय कर पाना अब अधिकारियों के बस की बात नहीं रही।मसौढ़ी में ‘डॉग बाबू’ का निवास प्रमाणपत्र प्रकरण अभी शांत भी नहीं हुआ था कि पटना प्रमंडल में एक "डुप्लीकेट दस्तावेज़ देवी" की एंट्री ने पूरे सिस्टम की पोल खोल कर रख दी।

बुधवार को प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. चंद्रशेखर सिंह की अगुआई में लोक शिकायत निवारण कार्यक्रम चल रहा था कि अचानक एक युवती ने दस्तावेज़ों का ऐसा पुलिंदा पेश किया कि अधिकारीगण भी फ़ाइलें छोड़कर माथा पकड़ बैठे।तीन-तीन निवास प्रमाणपत्र एक ही नाम, एक ही पहचान, और एक ही अंचल से!

दीदारगंज अंचल से बनी यह "त्रिवेणी" न केवल नियमों की धज्जियाँ उड़ाती है, बल्कि कुंभकर्णी प्रशासनिक नींद का जीता-जागता सबूत है।और जब कार्रवाई की बात आई, तो अधिकारियों ने वही पुराना राग अलापा: "हम तो निर्दोष हैं, युवती ने शपथपत्र दिया था, हम तो सिर्फ़ मुहर लगाए थे।"

दुल्हिनबाजार की एक चयनित शिक्षा सेवक युवती ने दीदारगंज अंचल से तीन बार निवास प्रमाणपत्र बनवाया।सभी दस्तावेज़ों के आधार में स्व-घोषणा  थी यानी “जो बोले वही सही” का प्रमाणिक प्रमाणपत्र।

जब जांच हुई, तो अपर समाहर्ता साहब ने सीधा ठीकरा युवती के सिर पर फोड़ते हुए खुद को "मासूम सिस्टम" का प्रतीक बता दिया।

अगर कोई व्यक्ति तीन बार निवास प्रमाणपत्र बनवा सकता है, तो इसका मतलब सिस्टम की जड़ें कितनी खोखली हैं?क्या अब प्रमाणपत्र भी थोक में मिलने वाला सरकारी ऑफर बन चुका है?अफसर क्या सिर्फ़ मुहर लगाने वाले कर्मचारी हैं, या अपनी ज़िम्मेदारी से भागने वाले पब्लिक रिलेशन अधिकारी?