Bihar Animal Survey: बिहार में जमीन के बाद कुत्तों का सर्वे! श्वानों की आबादी जानकर हो जाएंगे हैरान
Bihar Animal Survey: पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जारी कुत्तों के ताज़ा सर्वे रिपोर्ट ने बिहार को झकझोर कर रख दिया है।
Bihar Animal Survey: बिहार में आवारा कुत्तों की समस्या अब किसी छोटी-मोटी दिक्कत नहीं रही, बल्कि एक गंभीर मानवीय और स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुकी है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जारी ताज़ा सर्वे रिपोर्ट ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 37 जिलों में आवारा कुत्तों की कुल संख्या 6.84 लाख से अधिक पहुंच चुकी है, और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
सबसे चिंताजनक स्थिति गया जिले की है, जहां अकेले 57,920 आवारा कुत्ते दर्ज किए गए हैं। यह राज्य का सबसे बड़ा ‘डॉग ज़ोन’ बन चुका है। इसके बाद रोहतास (31,668), नालंदा (31,976) और पूर्वी चंपारण (30,006) का स्थान है। वहीं राजधानी की ओर बढ़ते जिले मुजफ्फरपुर में स्थिति और भयावह है यहां 28,146 आवारा कुत्ते हैं और हर दिन 40 से 50 लोग कुत्तों के काटने के शिकार हो रहे हैं।
सबसे कम संख्या शिवहर (3,270) और लखीसराय (5,260) में दर्ज की गई है, लेकिन जो जिले शीर्ष पर हैं, वहां स्थिति काबू से बाहर होती जा रही है। कई जगहों पर कुत्तों के झुंड रात में मुख्य सड़कों और मोहल्लों में घूमते हैं, जिससे लोगों के लिए निकलना खतरे से खाली नहीं। रैबीज का जोखिम लगातार बढ़ रहा है, जबकि गंभीर रूप से जख्मी लोगों को महंगे इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़ रहे हैं।
नगर निगम की ओर से की गयी नसबंदी योजना कागज़ों से बाहर निकल ही नहीं सकी। कई निगमों ने पकड़ने का अभियान शुरू तो किया, लेकिन कुछ ही दिनों में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। नतीजा यह कि न कुत्तों की संख्या कम हुई और न ही नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकी।
गया, रोहतास, नालंदा, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, औरंगाबाद और मुजफ्फरपुर इन जिलों में स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। सड़कों पर डर का माहौल है, बच्चों और बुजुर्गों के लिए बाहर निकलना मुश्किल होता जा रहा है।फिलहाल सबसे बड़ी चिंता यह है कि इतने बड़े संकट के बावजूद राज्य में अब तक कोई ठोस एक्शन प्लान तैयार नहीं किया गया है।अगर जल्द कदम नहीं उठे, तो यह समस्या न सिर्फ स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ बढ़ाएगी, बल्कि आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी को भी अपूरणीय नुकसान पहुंचा सकती है।