बाहुबलियों के गढ़ मोकामा में अमृताश आनंद होंगे जनसुराज उम्मीदवार! नाना थे प्रथम मुख्यमंत्री श्रीबाबू , पिता DGP ... जानिए अनंत सिंह हराने का प्लान पीके
बिहार की राजनीति से बड़ी खबर सामने आ रही है। जानकारी अनुसार बाहुबलियों के गढ़ मोकामा से जनसुराज के उम्मीदवार अमृताश आनंद होंगे। इनके नाना श्री बाबू बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे।

Mokama: बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण बाबू के नाती और बिहार पुलिस के पूर्व DGP आनंद शंकर के पुत्र अमृताश आनंद इस बार के बिहार विधान सभा चुनाव में मोकामा विधान सभा क्षेत्र से प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज से उम्मीदवार हो सकते हैं। जल्द ही पीके उनके नाम की अधिकारिक घोषणा कर सकते हैं। अमृताश आनंद ने इसे लेकर पीके से मुलाकात भी की है।
बाहुबलियों का गढ़ मोकामा
बिहार की राजनीति में मोकामा विधान सभा क्षेत्र का एक अलग ही महत्व है। यह क्षेत्र दशकों से बाहुबलियों का गढ़ माना जाता रहा है। अनंत सिंह, सूरजभान सिंह और ललन सिंह जैसे दिग्गजों ने यहां की सियासत को लंबे समय तक प्रभावित किया है। लेकिन पीके इस बार तस्वीर बदलने की तैयारी है। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने मोकामा में बदलाव की राजनीति के तहत एक नया चेहरा अमृताश आनंद को मैदान में उतारने की योजना बनाई है। माना जा रहा है कि पीके जल्द ही उनके नाम की आधिकारिक घोषणा कर सकते हैं। अमृताश आनंद फिलहाल एक शिक्षण संस्थान का संचालन करते हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि और शिक्षित पृष्ठभूमि को देखते हुए पीके ने उन्हें मोकामा में एक नए प्रयोग के तौर पर पेश करने का फैसला लिया है।
मोकामा और बाहुबली राजनीति
मोकामा की सियासत में अनंत सिंह, जिन्हें "छोटे सरकार" के नाम से जाना जाता है, का नाम सबसे पहले लिया जाता है। एक समय में जेडीयू के कद्दावर नेता रहे अनंत सिंह पर आपराधिक मामलों की लंबी फेहरिस्त रही है। हालांकि, जनता के बीच उनकी लोकप्रियता और पकड़ को नकारा नहीं जा सकता। 2020 के चुनाव में उन्होंने जेल से ही चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी। सूरजभान सिंह, जिनका प्रभाव मोकामा के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में भी रहा है, पूर्व सांसद रह चुके हैं और उन पर भी गंभीर आपराधिक मामले दर्ज रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सूरजभान सिंह का नेटवर्क और रणनीतिक कौशल आज भी इस क्षेत्र में असरदार है।
पीके का नया प्रयोग
जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अब तक की राजनीति से अलग हटकर बदलाव की बयार लाने की बात कही है। मोकामा में अमृताश आनंद को उम्मीदवार बनाकर पीके ने यह संकेत दिया है कि वे क्षेत्र में बाहुबल और जातिवादी समीकरणों से हटकर विकास और स्वच्छ छवि की राजनीति को बढ़ावा देना चाहते हैं। अमृताश की शैक्षणिक पृष्ठभूमि, सामाजिक कार्यों में सक्रियता और पारिवारिक राजनीतिक विरासत उन्हें एक मजबूत विकल्प बना सकती है।
बाहुबलियों को नकरेगा मोकामा!
मोकामा का चुनाव इस बार सिर्फ एक विधानसभा सीट की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाहुबल की राजनीति पर स्वच्छ छवि और बदलाव की राजनीति हावी हो सकती है। अनंत सिंह और सूरजभान सिंह जैसे मजबूत चेहरे जहां अपनी जमीनी पकड़ बनाए हुए हैं, वहीं अमृताश आनंद की उम्मीदवारी पीके के मोकामा में 'एक्सपेरिमेंटल मॉडल' की तरह देखी जा रही है। जनता का फैसला ही तय करेगा कि मोकामा बदलाव की ओर बढ़ेगा या फिर पारंपरिक राजनीति ही हावी रहेगी।
प्रियदर्शन शर्मा की रिपोर्ट