Aryabhatta Gyan University: आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (एकेयू) और भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआइयू) के सहयोग से भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (Faculty Development Program - FDP) का सोमवार को उद्घाटन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझना, उसे आधुनिक शिक्षा में एकीकृत करना और उसे बढ़ावा देना है।
भारत सदियों से ज्ञान का केंद्र रहा है: कुलपति शरद कुमार यादव
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो. शरद कुमार यादव ने भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं और उसके वैश्विक प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत ने दर्शन, विज्ञान, गणित, चिकित्सा, और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आर्यभट्ट, चरक, और पाणिनि जैसे महान विद्वानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली ने विश्व की सोच को आकार दिया है।कुलपति ने यह भी कहा कि "हमारे विश्वविद्यालय का नाम महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया है, इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके योगदान को संरक्षित करें और आगे बढ़ाएं।"
भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षा में एकीकृत करने की जरूरत
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. मनीषा प्रकाश ने स्वागत भाषण में कहा कि वर्तमान समय में तेजी से बदलते शैक्षणिक और तकनीकी परिदृश्य में भारतीय ज्ञान प्रणाली को फिर से खोजने और इसे आधुनिक शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करने की जरूरत है।
इस पांच दिवसीय कार्यक्रम के पहले सत्र में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के स्कूल ऑफ सोशल साइंस एंड पॉलिसी के डॉ. हरेश नारायण पांडेय ने भारतीय ज्ञान प्रणाली से संबंधित प्राचीन ग्रंथ और साहित्य पर व्याख्यान दिया।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ की भागीदारी
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआइयू) की संयुक्त सचिव रंजना परिहार ने कहा कि भारत में स्थापित 43 शैक्षणिक और प्रशासनिक विकास केंद्रों में से एक केंद्र आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में है, और यह केंद्र अपने उद्देश्य के अनुरूप श्रेष्ठ कार्य कर रहा है।
आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय
आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय का यह पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझने और उसे आधुनिक शिक्षा प्रणाली में समाहित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं को संरक्षित और पुनर्जीवित करना न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए आवश्यक है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक बड़ा योगदान साबित हो सकता है।