Bihar News : बाभन अब “बंधुआ वोटर” नहीं...पटना में सम्मेलन के बहाने भूमिहारों ने दिखाए तेवर, सियासी दलों को दिया सख्त संदेश

Bihar News : बाभन अब “बंधुआ वोटर” नहीं...पटना में सम्मेलन के

PATNA : बिहार की राजनीति में सामाजिक समीकरणों की नई तस्वीर उभरती दिखाई दे रही है। परबत्ता से विधायक डॉ. संजीव कुमार के नेतृत्व में रविवार को पटना स्थित श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित “ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन” में भूमिहार समाज ने अपनी संगठित ताकत और चेतना का प्रदर्शन किया। इस भव्य आयोजन में बिहार के कोने-कोने से हजारों की संख्या में भूमिहार समाज के लोग जुटे और एक स्वर में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।

इस सम्मेलन में समाज की ओर से छह प्रमुख मांगें रखी गईं। इनमें बिहार के पहले मुख्यमंत्री और “बिहार केसरी” के नाम से प्रसिद्ध डॉ. श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की मांग सबसे प्रमुख रही। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के छात्रों को अन्य राज्यों की तर्ज पर अधिक प्रयास (No. of Attempts) और आयु सीमा में छूट देने तथा हर जिले में EWS छात्रावास की व्यवस्था की मांग की गई। सम्मेलन में यह भी मांग उठी कि बिहटा एयरपोर्ट का नाम देश के महान किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर रखा जाए।

चौथी मांग जातिगत पहचान से जुड़ी रही, जिसमें कहा गया कि प्रशासनिक अभिलेखों और पौराणिक ग्रंथों में इस जाति को “भूमिहार ब्राह्मण / बाभन” के रूप में दर्ज किया गया है, अतः जातिगत जनगणना में भी यही नाम दर्ज किया जाए। साथ ही, भूमिहार समाज द्वारा दान की गई जमीन पर बने शैक्षणिक संस्थानों का नामकरण उनके पूर्वजों के नाम पर करने की मांग की गई। विशेष रूप से बेतिया स्थित मेडिकल कॉलेज का नाम पुनः महारानी जानकी कुंवर मेडिकल कॉलेज रखने की बात कही गई।

इस आयोजन में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की पत्नी अन्नू शुक्ला, बिग बॉस फेम दीपक ठाकुर, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मृणाल माधव समेत कई प्रमुख लोग शामिल रहे। कार्यक्रम का मकसद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों, विशेषकर एनडीए को यह स्पष्ट संदेश देना था कि भूमिहार समाज अब “बंधुआ वोटर” नहीं है, बल्कि राजनीतिक सम्मान और हिस्सेदारी की मांग कर रहा है। बिहार में भूमिहार समाज की आबादी कई विधान सभा सीटों पर प्रभावी मानी जाती है। समाज की ऐतिहासिक भूमिका शिक्षा, प्रशासन, पत्रकारिता और राजनीति में हमेशा मजबूत रही है। डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, स्वामी सहजानंद सरस्वती, रामधारी सिंह दिनकर जैसे बड़े नाम इसी समुदाय से आते हैं, जिन्होंने बिहार और देश को नई दिशा दी।

प्रियदर्शन शर्मा की रिपोर्ट