CBI In Action: CBI की बड़ी कार्रवाई! 100 करोड़ रुपये की GST धोखाधड़ी में बिहार समेत झारखंड के 7 जगहों पर की छापेमारी, बरामद की सोने की छड़

CBI In Action: CBI ने बिहार और झारखंड में 100 करोड़ के GST घोटाले में छापेमारी कर सात सोने की छड़ें जब्त कीं। फर्जी निर्यात बिल के जरिए टैक्स रिफंड लेने का आरोप, पांच कस्टम अधिकारी आरोपी।

CBI In Action
एक्शन में CBI- फोटो : social media

CBI In Action: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक बड़े GST घोटाले का भंडाफोड़ करते हुए शनिवार को बिहार और झारखंड में सात स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई करीब 100 करोड़ रुपये की टैक्स धोखाधड़ी के सिलसिले में की गई, जिसमें फर्जी निर्यात बिलों के माध्यम से GST रिफंड लिया गया था।इस दौरान जांच एजेंसी ने 100 ग्राम वजनी सात सोने की छड़ें भी बरामद की हैं, जो कथित रूप से रिश्वत और काली कमाई से जुड़ी हो सकती हैं।

वरिष्ठ अधिकारी भी घेरे में

CBI के अनुसार, इस घोटाले में पटना के अतिरिक्त जीएसटी आयुक्त रणविजय कुमार, और चार कस्टम अधीक्षक—नीरज कुमार, मनमोहन शर्मा, तरुण कुमार सिन्हा और राजीव रंजन सिन्हा—मुख्य आरोपी हैं।इन अधिकारियों पर फर्जी निर्यात दावों को पास करने और रिफंड स्वीकृत करने के एवज में घूस लेने का आरोप है। मामले में CBI ने बिहार और झारखंड में छापेमारी की। इस दौरान पटना और पूर्णिया में 2 जगहों और जमशेदपुर, नालंदा और मुंगेर में 1-1 स्थानों पर छापेमारी की।CBI के अधिकारियों ने इन सभी स्थानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल सबूत और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की।

कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश?

इस घोटाले की भनक तब लगी जब 2022-23 में बिहार-नेपाल सीमा पर स्थित कस्टम स्टेशनों—जयनगर, भीमनगर और भिट्टामोर—से असामान्य रूप से टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स का निर्यात दर्ज किया गया।रिपोर्ट्स के अनुसार 10 लाख रुपये से कम मूल्य के फर्जी बिलों के माध्यम से करीब 800 करोड़ रुपये का फर्जी निर्यात दर्शाया गया। इसमें अधिकांश वस्तुएं 18% और 28% GST स्लैब में थीं, जिससे इन निर्यातकों को लगभग 100 करोड़ रुपये का रिफंड प्राप्त हुआ।"

कौन-कौन हैं आरोपी?

CBI की FIR में कुल 30 निर्यातकों और एक क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह (कोलकाता) को नामजद किया गया है।इनपर आरोप है कि इन्होंने सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी निर्यात बिल बनाए। इन बिलों पर इन्पुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम कर रिफंड के रूप में पैसा वापस लिया।बदले में संबंधित अधिकारी रिश्वत लेकर मामले को पास करते रहे।