Bihar Teacher Transfer: डॉ. एस. सिद्धार्थ ने जारी किया जरूरी निर्देश! 15 जून तक कर लें शिक्षक ट्रांसफर से जुड़े कर ले ये बड़ा काम, वरना होगा नुकसान

Bihar Teacher Transfer: बिहार शिक्षा विभाग ने शिक्षक ट्रांसफर के बाद विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया 15 जून तक पूरी करने का निर्देश दिया है। जानिए कैसे हो रही है पारदर्शी आवंटन प्रक्रिया और कब करनी है ज्वाइनिंग।

Bihar Teacher Transfer
बिहार शिक्षा विभाग का बड़ा निर्देश- फोटो : social media

Bihar Teacher Transfer: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए कहा है कि राज्य के सभी स्थानांतरित शिक्षकों को विद्यालय आवंटन कार्य 15 जून तक हर हाल में पूरा किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी शिक्षकों को 23 जून से 30 जून के बीच अपने नए विद्यालय में योगदान देना अनिवार्य होगा।इस निर्देश का स्पष्ट तात्पर्य है कि जो शिक्षक अपने वर्तमान विद्यालय में कार्यरत हैं, वे 23 जून से स्वतः विरमित (Relieved) माने जाएंगे, और उन्हें नए विद्यालय में ही अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होगी।

सॉफ्टवेयर आधारित विद्यालय आवंटन: पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया

विद्यालय आवंटन की यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन और सॉफ्टवेयर आधारित है। इसे जिला शिक्षा पदाधिकारी (D.E.O.) के स्तर से निष्पादित किया जा रहा है।

प्रक्रिया निष्पक्ष और दबाव मुक्त

शिक्षा विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और दबाव मुक्त हो। श्रेणीवार शिक्षक सूची DEO के लॉगिन में उपलब्ध है।DEO को एक समय में केवल एक शिक्षक का विवरण दिखता है।शिक्षक का नाम और ID छिपा होता है, जिससे पक्षपात की संभावना समाप्त हो जाती है।DEO को यह भी जानकारी नहीं दी गई है कि शिक्षक पहले कहां पदस्थापित था और उसने स्थानांतरण के लिए आवेदन क्यों किया।इससे यह सुनिश्चित होता है कि विद्यालय आवंटन पूर्णत: गोपनीय और स्वतः निष्पादित प्रक्रिया है।

कैसे काम करता है आवंटन सॉफ्टवेयर?

इस डिजिटल प्रणाली में शिक्षक के द्वारा पूर्व में भरे गए पंचायतों के विकल्प, शिक्षक की कोटि (जैसे प्राथमिक/माध्यमिक), विषय, और वर्ग के आधार पर विद्यालय का चयन किया जा रहा है। कोई भी मानवीय हस्तक्षेप न होने से यह प्रक्रिया कंप्यूटर जनित निष्पक्ष आवंटन सुनिश्चित करती है। इससे राजनीतिक, सामाजिक या प्रशासनिक दबाव की संभावना खत्म होती है। शिक्षकों को दिए गए विकल्पों के अनुसार ही स्वचालित प्राथमिकता के आधार पर स्कूल आवंटित किया जा रहा है।