Bihar Sugar Mills: बिहार की बंद चीनी मिलों को चलाने की कवायद शुरू, उठाए जाएंगे ये जरूरी कदम, जल्द ही लोगों को घर में मिलेगा रोजगार

बिहार सरकार ने बंद पड़ी सकरी और रैयाम चीनी मिलों का पुनर्मूल्यांकन कराने का फैसला लिया है, जिससे इन परिसरों में चीनी मिल और इथेनॉल प्लांट की स्थापना की उम्मीद जगी है।

Sugar Mills
Sugar Mills- फोटो : social media

Bihar Sugar Mills: बिहार की बंद चीनी मिलें, जो कभी राज्य की गन्ना अर्थव्यवस्था की रीढ़ हुआ करती थीं, अब फिर से सक्रिय होने की ओर बढ़ रही हैं। सकरी और रैयाम चीनी मिल के परिसरों का अब पुनर्मूल्यांकन (Revaluation) कराया जाएगा। इस काम के लिए SBI कैप्स कोलकाता को जिम्मेदारी सौंपी गई है। गन्ना उद्योग विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य यहां गन्ना आधारित उद्योगों की फिर से स्थापना करना है। इससे न सिर्फ स्थानीय किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में रोज़गार, उद्योग और निवेश की संभावनाएं भी फिर से जीवित होंगी।

करीब 30 साल से बंद मिलों को मिल सकती है नई जिंदगी

सकरी चीनी मिल की स्थापना 1933 में महाराजा कामेश्वर सिंह ने की थी और यह 1997 से बंद है।रैयाम चीनी मिल, जो 1914 से अस्तित्व में थी, 1994 से बंद है। दोनों मिलों की कुल मिलाकर 115 एकड़ ज़मीन है और पहले ये अपने ट्रॉली नेटवर्क और उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती थीं। रैयाम मिल के पास मोकद्दमपुर तक 14 किमी लंबी ट्रॉली लाइन भी थी, जो अपने आप में एक तकनीकी उपलब्धि थी।

2006 में भी हुआ था पुनर्मूल्यांकन

यह कोई पहला प्रयास नहीं है। 2006 में नीतीश मिश्रा के नेतृत्व में SBI कैप्स से बिहार की 15 मिलों का मूल्यांकन कराया गया था। इनमें से आठ मिलों की जमीन BIADA को दी गई, जहां आज नए उद्योग खड़े हो रहे हैं। जैसे लौरिया और सुगौली - HPCL बायोफ्यूल्स,मोतीपुर - इंडियन पोटाश लिमिटेड,बिहटा - पिस्टाइन मगध इंफ्रास्ट्रक्चर और समस्तीपुर - विनसम इंटरनेशनल शामिल है। लेकिन सकरी और रैयाम मिलों की लीज तिरहुल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड को दी गई थी, जिसने शर्तों को पूरा नहीं किया, जिसके कारण 2021 में इकरारनामा रद्द कर दिया गया।

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