Bihar School: बिहार समर कैंप 2025 में बच्चों के लिए छुट्टी नहीं, गणित से मिलेगा दोस्ती का मौका, जानें क्या होने वाला है खास

Bihar School: बिहार के सरकारी स्कूलों में 2 से 21 जून 2025 तक ‘मैथ समर कैंप’ लगेगा। जानिए इस कैंप का टाइम टेबल, चयन प्रक्रिया, स्वयंसेवकों की भूमिका और माता-पिता की भागीदारी का पूरा प्लान।

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Bihar School- फोटो : social media

Bihar School:  इस बार बिहार के सरकारी स्कूलों की गर्मी की छुट्टियां सिर्फ मौज-मस्ती का वक्त नहीं होंगी, बल्कि गणित से यारी करने का सुनहरा अवसर लेकर आ रही हैं। बिहार शिक्षा विभाग और ‘प्रथम संस्था’ के संयुक्त प्रयास से राज्य भर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 2 जून से 21 जून 2025 तक मैथ समर कैंप का आयोजन होगा।यह विशेष अभियान उन छात्रों के लिए है जिन्हें गणित की मूलभूत समझ में कठिनाई होती है। कैंप के माध्यम से ऐसे बच्चों को जोड़-घटाना, गुणा-भाग, माप और ज्यामिति जैसे मूलभूत विषयों को खेल-खेल में सिखाया जाएगा।

किन छात्रों के लिए है ये समर कैंप?

यह कैंप विशेष रूप से कक्षा 5 और 6 के छात्रों के लिए बनाया गया है। ASER (असर टूल्स) की मदद से पहले ही उन बच्चों की पहचान कर ली गई है जो मूलभूत गणना जैसे जोड़, घटाव, गुणा और भाग में कमजोर हैं। इन चिन्हित बच्चों को ही कैंप में भाग लेने का आमंत्रण दिया गया है।

दो शिफ्ट में चलेंगी कक्षाएं

बच्चों की सुविधा और गर्मी को ध्यान में रखते हुए कैंप को दो शिफ्ट में चलाया जाएगा:

सुबह: 7 बजे से 9 बजे तक

शाम: 5 बजे से 7 बजे तक

प्रत्येक सत्र में अधिकतम 15 बच्चों का समूह होगा, ताकि व्यक्तिगत ध्यान दिया जा सके। बच्चों को बैठाकर रट्टा नहीं लगवाया जाएगा, बल्कि गतिविधियों और खेलों के माध्यम से गणित के मूलभूत कांसेप्ट को हैंड्स-ऑन लर्निंग के रूप में सिखाया जाएगा।

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कौन पढ़ाएगा बच्चों को?

इस पहल की रीढ़ होंगे प्रशिक्षित स्वयंसेवक, जिन्हें विशेष रूप से 4 दिनों के ओरिएंटेशन में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें डायट के प्रशिक्षु शिक्षक शामिल होंगे।एनसीसी कैडेट्स और पॉलिटेक्निक/इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र।‘जीविका दीदियों’ के प्रेरित युवा समूह।नेहरू युवा केंद्र के सदस्य और बिहार कौशल विकास मिशन के ‘कुशल युवा’ होंगे।ये स्वयंसेवक बच्चों के गांव या मोहल्ले में जाकर 60 से 90 मिनट तक की एक्टिविटीज कराएंगे। कोई ब्लैकबोर्ड या कक्षा नहीं—बस चटाई पर बैठकर गणना के खेल होंगे।

पेरेंट्स की भागीदारी होगी जरूरी

शिक्षा विभाग ने जिलों के सभी डीईओ (जिला शिक्षा पदाधिकारी) को निर्देश भेजा है कि अभिभावकों की भागीदारी को अनिवार्य बनाया जाए। शाम के हर सत्र के अंत में 10 मिनट का 'पेरेंट ब्रेक' होगा, जहां स्वयंसेवक अभिभावकों को बच्चों की प्रगति दिखाएंगे और घर में अभ्यास के सरल टिप्स बताएंगे।इस पहल का मकसद है कि जब कैंप खत्म हो, तब हर छात्र गणना में दक्ष हो और नए सत्र में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े।

क्यों जरूरी है यह पहल?

बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए ऐसे प्रयास बेहद महत्वपूर्ण हैं। कई सर्वे और रिपोर्टों ने यह संकेत दिया है कि कक्षा 3 से 6 तक के छात्र बुनियादी गणित में पिछड़ जाते हैं, जिससे उनका आगे का अकादमिक प्रदर्शन प्रभावित होता है। इस कैंप के ज़रिए सरकार "बेस मजबूत, भविष्य उज्जवल" की नीति को ज़मीन पर उतार रही है।