Bihar sand mining: बिहार में अवैध बालू खनन पर शिकंजा कसना शुरू, विभाग ने जिलों को भेजा सख्त निर्देश

Bihar sand mining: बिहार में बालू खनन पर लगी रोक हटने के बाद अवैध और अधिक गहराई में खनन की शिकायतों पर खान एवं भू-तत्व विभाग सख्त। सभी जिलों को जांच और कार्रवाई के निर्देश।

Bihar sand mining
बिहार में बालू खनन की जांच तेज!- फोटो : social media

Bihar sand mining:  बिहार में तीन महीने की रोक समाप्त होने के बाद जब अक्टूबर के मध्य में बालू खनन दोबारा शुरू हुआ, तो कुछ ही दिनों में विभाग को लगातार शिकायतें मिलने लगीं। कई जिलों से यह जानकारी आई कि बंदोबस्तधारी न केवल तय गहराई से ज्यादा बालू निकाल रहे हैं, बल्कि नदी के उन हिस्सों में भी खनन कर रहे हैं जहाँ इसकी इजाज़त ही नहीं दी गई है। ऐसी गतिविधियां नदी के प्राकृतिक संतुलन पर भारी असर डालती हैं और कई क्षेत्रों में पानी के स्तर में गिरावट का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए खान और भू-तत्व विभाग ने इसे गंभीर मामला मानते हुए सभी जिलों को सतर्क रहने और निगरानी बढ़ाने का आदेश दिया है।

विभाग का पत्र, जिलों को सघन जांच और कठोर कार्रवाई का आदेश

विभाग ने खनिज विकास पदाधिकारियों और सहायक खनिज निदेशकों को भेजे गए पत्र में साफ लिखा है कि पर्यावरण स्वीकृति में तय मानकों का पालन न करना अवैध खनन की श्रेणी में आता है।कई घाटों पर तय गहराई से नीचे तक खुदाई किए जाने की शिकायतों के बाद विभाग ने चेतावनी दी है कि ऐसे मामलों में तत्काल कानूनी कार्रवाई अनिवार्य होगी।जिन घाटों की नीलामी अभी तक पूरी नहीं हुई है, उनके लिए जल्द नयी नीलामी प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है। इसके अलावा बिना नीलामी वाले किसी भी घाट में किसी रूप में बालू निकासी की अनुमति नहीं होगी।अवैध खनन करने वाले व्यक्तियों या समूहों की पहचान होने पर उन पर सीधा पुलिस केस दर्ज कराया जाएगा। विभाग का कहना है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने और राज्य के राजस्व की रक्षा के लिए यह कदम बेहद आवश्यक है।

नदी संरक्षण भूजल सुरक्षा और राजस्व बचाने के लिए जरूरी सख्ती

नदी घाटों में तय सीमा से अधिक गहराई तक खनन करने के कारण नदी के बहाव में परिवर्तन, तट कटाव, सिंचाई और पेयजल स्रोतों पर असर और भूजल स्तर में गिरावट जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। जब खनन नियमों के दायरे में होता है, तब नदी का प्राकृतिक स्वरूप सुरक्षित रहता है। लेकिन सीमा पार करते ही नदी पारिस्थितिकी असंतुलित हो जाती है, जिससे आसपास के गांवों और खेतों तक पर खतरा मंडराने लगता है।राजस्व के दृष्टिकोण से भी अवैध खनन बड़ा नुकसान पहुंचाता है। बिना नीलामी निकाला गया बालू सीधे काले बाजार में पहुंचता है और सरकार को मिलने वाली आय कम हो जाती है। यही कारण है कि विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अब किसी भी स्तर पर अवैध खनन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हर घाट पर लगातार निरीक्षण आवश्यक होगा।