Bihar Land Survey: भू मालिकों के साथ नीतीश सरकार के कई बड़े अधिकारी कर रहे खेला, राजस्व मंत्री ने दिया नापने का आदेश

Bihar Land Survey: नीतीश सरकार के बड़े अधिकारी भू मालिकों के साथ खेला कर रहे हैं। इन अधिकारियों को रखा तो गया है भूमि विवाद को निपटारे के लिए लेकिन ये सुनवाई के बाद फैसले को रोककर आम लोगों को परेशान कर रहे हैं। वहीं अब इस मामले में राजस्व मंत्री ने.

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सरकार के बड़े अधिकारी कर रहे खेला - फोटो : social media

Bihar Land Survey:  बिहार में रिजर्व फैसले का बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। डीसीएसआर महीनों तक फैसलों को दबाकर आम जनता को परेशान कर रहे हैं। दरअसल, राज्य में भूमि विवाद के निपटारे के लिए  भूमि सुधार उप समाहर्ताओं (DCLR) की तैनाती की गई है। लेकिन अब डीसीएलआर के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अनुमंडल स्तर पर तैनात ये अधिकारी मुकदमों की सुनवाई पूरी करने के बाद भी महीनों तक फैसले को "रिजर्व" यानी सुरक्षित रख रहे हैं। जिससे आम लोगों को फैसले की जानकारी ही नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति न सिर्फ न्याय में देरी का कारण बन रही है, बल्कि सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है।

सुनवाई के बाद भी नहीं जान पा रहे फैसला 

राज्य के पटना, छपरा, सारण, रोहतास, गया और दरभंगा जैसे अधिकांश जिलों में यह आम शिकायत बन चुकी है कि DCLR द्वारा वर्षों तक मामलों की सुनवाई की जाती है और जब सुनवाई पूरी हो जाती है तब भी फैसले को महीनों तक सुरक्षित रखा जाता है। नियमानुसार, फैसले को अधिकतम 15 दिनों के भीतर सार्वजनिक किया जाना चाहिए, लेकिन यह सीमा नियमित रूप से उल्लंघन का शिकार हो रही है।

पक्षकार को हो रही परेशानी

फैसले की जानकारी नहीं होने से पक्षकार न तो अपील कर पाते हैं और न ही किसी उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। महीनों तक फैसले का इंतजार करना लोगों की मजबूरी बन चुकी है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ रहा है। फैसले के इंतजार में महीनों दोनों पक्ष को कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है। 

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ऑनलाइन व्यवस्था में डाली जा रही बाधा

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की सेवाएं भले ही ऑनलाइन हों, लेकिन लोगों को अभी भी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। आरोप है कि अंचल और अनुमंडल कार्यालयों की ओर से जानबूझकर ऑनलाइन सेवाओं में बाधा डाली जा रही है ताकि लोग खुद कार्यालय आएं और उनसे संपर्क करें।

फैसलों को चार दिनों में जारी करने का आदेश 

वहीं हाल में आयोजित समीक्षा बैठक में राजस्व मंत्री संजय सरावगी ने DCLR की इस लापरवाही पर नाराजगी जताई। साथ ही उन्होंने कड़ा निर्देश भी दिया। मंत्री ने विभाग के अपर सचिव दीपक कुमार सिंह ने सख्त निर्देश दिए हैं कि फैसले अधिकतम चार दिनों में सार्वजनिक किए जाएं। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि बैक डेट में फैसले अपलोड नहीं किए जाएंगे और डिजिटल हस्ताक्षर व अपलोड की तारीख एक समान होनी चाहिए। उल्लंघन की स्थिति में संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई तय है।