Bihar Land Survey: बिहार के भू-मालिकों के लिए बुरी खबर, 1.18 जमीन मालिकों को लगा बड़ा झटका, जानिए क्या है पूरा मामला
Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे के बीच 1.18लाख भू मालिकों के लिए बुरी खबर सामने आई है। इन भूमालिकों को बड़ा झटका लगा है इससे इनकी परेशानी और बढ़ गई है।

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से जारी है। जमीन सर्वे के काम में भू मालिकों को कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से सर्वे से जुड़ी कई सवालों का जवाब दिया जा रहा है। भू मालिकों की परेशानियों को भी हल किया जा रहा है। लेकिन इसी बीच सर्वे से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है जो 1.18 लाख जमीन मालिकों के लिए बुरी खबर मानी जा रही है... आइए जानते हैं पूरी खबर क्या है...
अधिकारियों की लापरवाही से आम लोग परेशान
मालूम हो कि, नीतीश सरकार की ओर से आम जनता को सरकारी कार्यालयों के चक्कर से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से अधिकांश प्रशासनिक कामकाज को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ दिया गया है। खास कर दाखिल-खारिज जैसी जमीन संबंधी सेवाओं को ऑनलाइन करने की पहल की गई है। लेकिन, जमीनी हकीकत यह है कि डिजिटल सुविधा होने के बावजूद आम लोग अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही के चलते परेशान हैं।
बड़ी संख्या में ऑनलाइन आवेदन हो रहे खारिज
बता दें कि, ऑनलाइन प्रणाली से दाखिल-खारिज प्रक्रिया को आसान बनाने का दावा तो किया गया, लेकिन इसके निष्पादन में भारी गड़बड़ी सामने आ रही है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकारियों ने निष्पादन के आंकड़ों को बेहतर दिखाने के चक्कर में बड़ी संख्या में ऑनलाइन आवेदनों को खारिज कर दिया है।
आंकड़े बयां कर रहे हकीकत
जिला राजस्व विभाग से प्राप्त आंकड़ों को देखे तो, जिले के सभी 19 अंचलों में दाखिल-खारिज के कुल 3,30,373 ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 2,08,509 आवेदनों को निष्पादित कर दिया गया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 1,18,901 आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। फिलहाल 2,963 आवेदन विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं।
दाखिल-खारिज प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल
राजस्व विभाग की इस कार्यशैली ने आम जनता के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं। जिन आवेदनों को खारिज किया गया है। उनमें से अधिकांश आवेदकों को स्पष्ट कारण तक नहीं बताया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खासे परेशान हैं। बिहार सरकार की मंशा भले ही व्यवस्था को पारदर्शी और सुलभ बनाने की हो, लेकिन जमीनी अमल में सिस्टम का रवैया अब भी लोगों को कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर कर रहा है।
ऑनलाइन आवेदन प्रणाली में हो रही गड़बड़ी
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन आवेदन प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए केवल तकनीक नहीं बल्कि अधिकारियों की मानसिकता में भी बदलाव जरूरी है। साथ ही खारिज किए गए आवेदनों पर पारदर्शी और स्पष्ट प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए ताकि जनता को इसका वास्तविक लाभ मिल सके।