Bihar News: विधान परिषद सभापति के कंप्यूटर में सेंधमारी, कंप्यूटर सीलकर EOU की साइबर सेल जांच में जुटी,साजिश या लापरवाही?
Bihar News: बिहार विधान परिषद में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सभापति अवधेश नारायण सिंह के कंप्यूटर से महत्वपूर्ण डेटा गायब होने की आशंका जताई गई है।

Bihar News: बिहार विधान परिषद में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सभापति अवधेश नारायण सिंह के कंप्यूटर से महत्वपूर्ण डेटा गायब होने की आशंका जताई गई है। इस सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए आर्थिक अपराध इकाई की साइबर सेल की एक टीम शुक्रवार को परिषद कार्यालय पहुंची और सभापति के कंप्यूटर को सील कर दिया। EOU अब इस संदिग्ध 'डेटा चोरी' या 'डेटा डिलीशन' के मामले की गहराई से जांच कर रही है।
क्या हुआ?
शुक्रवार को मिली जानकारी के अनुसार, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने EOU के अधिकारियों से संपर्क किया और यह आशंका व्यक्त की कि उनके कंप्यूटर से कुछ महत्वपूर्ण डेटा गायब हो गया है। उन्होंने इसकी विस्तृत पड़ताल करने का अनुरोध किया। सभापति की शिकायत के तुरंत बाद, EOU की साइबर सेल की टीम ने मौके पर पहुंचकर कंप्यूटर की प्रारंभिक जांच की और उसे आगे की फॉरेंसिक जांच के लिए सील कर दिया।
EOU की प्रतिक्रिया और जांच की दिशा
आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक नैय्यर हसनैन खान ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए बताया कि उनकी साइबर टीम पूरे मामले की जांच में जुटी है। उन्होंने पुष्टि की कि टीम कंप्यूटर की गहराई से जांच करेगी, जिसके बाद प्राप्त परिणामों के आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शुरुआती जांच में, टीम के सदस्यों को पहले यह संदेह हुआ कि कहीं यह कोई साइबर हमला तो नहीं है। हालांकि, प्रारंभिक जांच में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है। अब प्रमुख आशंका यह जताई जा रही है कि यह पहले से वहां तैनात रहे किसी कर्मचारी की शरारत हो सकती है, जिसने जानबूझकर डेटा को डिलीट कर दिया हो।
EOU की साइबर सेल अब सील किए गए कंप्यूटर से डेटा रिकवरी और फॉरेंसिक विश्लेषण का काम करेगी। इस विश्लेषण से यह पता चल पाएगा कि वास्तव में डेटा गायब हुआ है या डिलीट किया गया है, और यदि हां, तो कैसे और किसके द्वारा। नैय्यर हसनैन खान ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी और उसके अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना बिहार विधान परिषद जैसे संवेदनशील संस्थान में डेटा सुरक्षा और आंतरिक नियंत्रण की आवश्यकता पर गंभीर सवाल उठाती है। इस जांच के परिणाम न केवल इस विशेष घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को सामने लाएंगे, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों को मजबूत करने में भी मदद करेंगे।