Patna news - बिहार आएंगे अन्ना हजारे! व्यवस्था परिवर्तन को लेकर लोकआंदोलन न्यास रालेगण सिद्धि के लोगों की पिटाई करनेवाले डीएम, SDO और BDO पर कार्रवाई की मांग

PATNA - आर ब्लाक गोलंबर के समीप स्थित आम्रपाली बैंक्वेट हाल में लोक आंदोलन न्यास की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कार्याध्यक्ष कल्पना इनामदार ने कहा कि बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के लिए लोक आंदोलन न्यास के कार्यकर्ताओं के साथ अफसरों की कार्रवाई के खिलाफ हमने उच्च न्यायालय में आवेदन देकर मामले की जांच की मांग की है। लोक आंदोलन न्यास के प्रवक्ता तरुण उप्पल ने कहा कि अन्ना हजारे बिहार आयेंगे। संवाददाता सम्मेलन में हरियाणा कार्याध्यक्ष सुखदेव सिंह विर्क और कायदा सल्लागार शिल्पा पवार भी उपस्थित थीं।
हमारा संघर्ष किसी दल या व्यक्ति विशेष के विरुद्ध नहीं है, बल्कि समाज को उन्नत बनाने के लिए है। मैंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान किसी भी राजनैतिक दल अथवा नेता के खिलाफ नारे नहीं लगाए। हमारा संगठन महात्मा गांधी जी के विचारों का अनुसरण करते हुए समाज को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। लोक आंदोलन, भारत में सामाजिक कार्यों के लिए पंजीकृत एक न्यास है। यह संगठन न तो कभी अपनी राजनैतिक पार्टी बनाएगा और न ही किसी को चुनाव लड़ने में सहायता करेगा। अन्ना हजारे जी, लोक आंदोलन न्यास के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं। मैं, लोक आंदोलन न्यास संगठन की कार्यकारी अध्यक्ष हूँ।
15 अप्रैल 1917 को महात्मा गांधी जी पहली बार भितिहरवा चंपारण पहुंचे और उन्होंने यहां शांतीपूर्ण आंदोलन शुरू किया। इसमें स्थानीय किसानों ने उनका भरपूर सहयोग किया। महात्मा गांधी जी ने भितिहरवा चंपारण से सत्य के लिए सत्याग्रह का रास्ता दिखाया उसी जगह पर मैंने सामाजिक बिहार की व्यवस्था परिवर्तन के लिए शांतीपूर्ण आंदोलन शुरू किया था। इसमें स्थानीय किसानों ने मुझे भी भरपूर सहयोग दिया। उसी गाँधी आश्रम के बाहर आंदोलन स्थल से मुझे घसीट कर सत्तर किलोमीटर सरकारी चिकित्सा अस्पताल बेतिया में लेकर गए। और जबरन मेडिकल के नाम से एक रूम में नजर कैद रखा। यदि मेरी तबीयत इतनी खराब थी तो वे मुझे इतनी दूर क्यों ले गए और ऐसी जगह क्यों नहीं ले गए जहां आस-पास कई अस्पताल थे?
भितिहरवा, श्रीरामपुर जैसे कई गांवों के लोगों ने सत्याग्रह में भाग लिया। सत्याग्रह में भाग लेने के बाद आम कार्यकर्ताओं ने यदि धरना मंडप में माइक में भाषण दिया तो उन्हें धमकाया जा रहा था। वहां के डीएम, एसडीओ और बीडीओ ये सरकारी नौकर बनके सरकारी वेतन लेते है, लेकिन सरकारी काम नहीं करते ये तीनो भी किसी दल के लिए काम करते है। बीडीओ ने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को कार्यालय में बुलाकर धमकी दी है और कार्यकर्ताओं की चुन-चुनकर पिटाई की है।अगर समाज की मांगों को लेकर आंदोलन करने वाले कार्यकर्ता की यह हालत है तो समाज मैं रहने वाले लोगों की क्या हालत होगी, इस बारे में भी विपक्ष को ध्यान देने की जरूरत है। डीएम, एसडीओ और बीडीओ इन तीनों को सरकारी पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। किसी भी राजनीतिक दल के लिए गुप्त रूप से काम करना सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है और इसका पर्दाफाश होना चाहिए। डीएम, एसडीओ और बीडीओ इन तीनों पर (Special Investigation Team) SIT बैठेने के लिए मैंने कोर्ट में रिट दाखिल किया है।
सत्याग्रह की प्रमुख मांगे
केंद्र एवं राज्य सरकारों से निवेदन है कि निम्नलिखित मुद्दों पर गंभीरता से विचार करें:
1) बिहार राज्य के विकास हेतु 'बिहार मिशन समिति' का गठन प्रधानमंत्री के पर्यवेक्षण में किया जाए।
2) बिहार के पलायन को रोकने हेतु बच्चों से लेकर युवाओं तक मुफ्त शिक्षा एवं बेरोजगारी को कम करने के लिए पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करके राज्य और केंद्र सरकार प्रभावी योजना तैयार करें।
3) मनरेगा योजना को कृषि से जोड़ा जाए।
4) जब तक सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार नहीं होता, तब तक राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय स्थापित करके निजी स्कूलों की फीस का भुगतान सरकारने करना चाहिए।
5) केंद्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हुए, उसे चुनाव आयोग की तरह स्वतंत्र एवं स्वायत्त बनाया जाए तथा सरकार को उसकी सिफारिशें मानने के लिए बाध्य किया जाए।
6) स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कृषि उत्पादों पर C2+50% (डेढ़ गुना अधिक) न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जाए।
7) भारत जैसे कल्याणकारी देश में KG से PG तक मुफ्त शिक्षा एवं मुफ्त इलाज बिना किसी शर्त के उपलब्ध कराए जाएं।
8) अखंड भारत के निर्माण हेतु सभी धर्मों में एकता एवं अखंडता बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार कड़े कानून बनाए।