Bihar politics - मुसहर के किसी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे राजद, मंत्री संतोष सुमन ने तेजस्वी को दिया जवाब - सिर्फ वोट बैंक के लिए नहीं होंगे इस्तेमाल

Bihar politics - पटना में मुसहरों की चिंता करने पर हम के अध्यक्ष डा. संतोष सुमन ने मांग की है कि खाली वोट बैंक के लिए उनका इस्तेमाल नहीं करें, इतनी चिंता है तो किसी मुसहर नेता को अपना सीएम घोषित करें।

Bihar politics - मुसहर के किसी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा

Patna - बिहार सरकार के लघु जल संसाधन मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने मंगलवार को सामाजिक न्याय और समता की दिशा में एक स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भुइयाँ-मुसहर समाज सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल नहीं होगा, बल्कि वह सत्ता के असली हिस्सेदार बनेगा।

राजनीति  में मोहरा बनकर नहीं रहेंगे

डॉ. सुमन ने दो टूक कहते हुए जोर दिया कि आज मुसहर-भुइयाँ समाज को फिर से मोहरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। टिकट बाँटकर उन्हें फिर वही गुलामी की स्थिति में रखने की साजिश हो रही है। लेकिन अब ये समाज किसी के दरबारी बनकर नहीं रहेगा। अब हमें भी सत्ता चाहिए, बराबरी चाहिए – केवल चाकरी नहीं।

डॉ. सुमन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर करारा हमला बोलते हुआ कहा कि अगर राजद को वाकई भुइयाँ-मुसहर समाज की इतनी ही चिंता है, तो किसी मुसहर या भुइयाँ नेता को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करे। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक यह केवल छलावा है।

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न्याय और नीति में मांगी अपनी भागीदारी

डॉ. सुमन ने आगे कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा वंचित समाज को केवल प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व देने का चलन अब खत्म होना चाहिए। उन्होंने बताया कि "आज यह समाज पढ़ा-लिखा, जागरूक और संघर्षशील है। अब हम सवाल करेंगे – क्या हमें सिर्फ वोट देना है या सत्ता में बैठना भी है? उनका मानना है कि वंचित समाज को न्याय और नीति निर्माण में सक्रिय भागीदारी मिले तो नवसामाजिक न्याय का अगला अध्याय स्थापित होगा।

मंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता में बने रहना नहीं, बल्कि हर अंतिम व्यक्ति को सत्ता में हिस्सेदारी दिलाना है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नवसामाजिक न्याय तभी पूर्ण होगा जब भुइयाँ-मुसहर जैसे समाज केवल नारे नहीं, बल्कि नीति निर्धारण में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

डॉ. सुमन ने अपना अंतिम संदेश दिया कि अब समय आ गया है कि हम अपनी पहचान के साथ खड़े हों – दबे कुचले नहीं, गर्व के साथ। हम सत्ता से बाहर नहीं रहेंगे, और किसी दल के दरवाजे पर खड़े नहीं रहेंगे। अब हम खुद सत्ता के दरवाजे खोलेंगे।