फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे बाबुओं की अब खैर नहीं! विजय सिन्हा ने सेट किया 'टाइमर', गलती हुई तो नपेंगे
बिहार में जमीन के कागजातों में सुधार के लिए अब लोगों को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने परिमार्जन प्लस पोर्टल पर आवेदनों के निपटारे के लिए सख्त समय-सीमा तय कर दी है।
Patna - बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राज्य के लाखों रैयतों को बड़ी राहत दी है। जमाबंदी में सुधार और छूटे हुए मामलों को ऑनलाइन करने में हो रही देरी को खत्म करने के लिए विभाग ने सख्त समय-सीमा (Time Limit) निर्धारित कर दी है। उपमुख्यमंत्री सह विभागीय मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने समीक्षा बैठक में पाया कि परिमार्जन प्लस पोर्टल पर आए आवेदनों को निपटाने में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती जा रही थी, जिसे देखते हुए यह कड़ा फैसला लिया गया है।
हर सुधार के लिए दिय तय
विभाग ने अब हर तरह के सुधार के लिए दिन तय कर दिए हैं। नए आदेश के मुताबिक, लिपिकीय या टाइपिंग की भूल (Clerical/Typing Errors) को सुधारने के लिए अब अधिकतम 15 कार्य दिवस का समय दिया गया है। वहीं, जमाबंदी से जुड़ी अन्य त्रुटियों के सुधार के लिए अधिकारियों को 35 कार्य दिवस के भीतर कार्रवाई पूरी करनी होगी। इससे रैयतों को अनावश्यक विलंब से मुक्ति मिलेगी।
जटिल मामले 75 दिन में
जटिल मामलों के लिए भी समय-सीमा स्पष्ट कर दी गई है। यदि किसी रैयत की जमाबंदी ऑनलाइन होने से छूट गई है, तो उसे पोर्टल पर चढ़ाने के लिए 75 कार्य दिवस का समय निर्धारित किया गया है। इसके अलावा, जिन मामलों में भू-मापी (जमीन की नापी) की आवश्यकता होगी, उनका निष्पादन भी अनिवार्य रूप से 75 कार्य दिवसों के भीतर करना होगा।
मंत्री ने दी चेतावनी
मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने अधिकारियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि अब किसी भी स्तर पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया है कि जो भी अधिकारी या कर्मचारी इन मामलों में शिथिलता बरतेंगे, उन्हें चिन्हित कर उनके खिलाफ कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। सरकार का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को त्वरित, पारदर्शी और भरोसेमंद राजस्व सेवाएं उपलब्ध कराना है।
गौरतलब है कि विभाग ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए लगभग 4.50 करोड़ जमाबंदियों को ऑनलाइन कर दिया है। इस विशाल प्रक्रिया के दौरान कई जमाबंदियों में रैयत के नाम, पिता का नाम, खाता, खेसरा और रकबा जैसी त्रुटियां रह गई थीं। इन्हीं विसंगतियों को दूर करने के लिए 'परिमार्जन प्लस पोर्टल' विकसित किया गया था, लेकिन समय-सीमा न होने से मामले लंबित हो रहे थे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई आवेदन किसी कमी के कारण आवेदक को वापस (Return) किया जाता है, तो वह लंबित अवधि अधिकारियों के कार्य दिवस की गणना में नहीं जोड़ी जाएगी। सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं कि वे निर्धारित समय के भीतर आवेदनों का निष्पादन सुनिश्चित करें और लापरवाही करने वालों की रिपोर्ट विभाग को भेजें।