Bihar Nitish Kumar: नीतीश कुमार के 20 वर्षों में बिहार की सड़कों ने बदली तस्वीर! बुनियादी ढांचे में देखने को मिले ऐतिहासिक बदलाव

Bihar Nitish Kumar: नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सड़क और पथ निर्माण के क्षेत्र में 2005 के बाद ऐतिहासिक बदलाव हुए हैं। जानिए कैसे राज्य की कनेक्टिविटी और आर्थिक प्रगति को मिली है नई दिशा।

Bihar Nitish Kumar:
बिहार में फैला सड़कों का जाल- फोटो : social media

Bihar Nitish Kumar: 2005 से पहले का बिहार और आज का बिहार, अगर कोई अंतर सबसे अधिक दिखाई देता है तो वह है सड़कों की स्थिति। जहां पहले टूटी-फूटी, कच्ची या सिंगल लेन सड़कें आम थीं, वहीं अब राज्य भर में फोरलेन और सिक्स लेन हाईवे बन चुके हैं। यह परिवर्तन संयोग नहीं, बल्कि एक ठोस योजना, प्रतिबद्ध नेतृत्व और निरंतर प्रयासों का परिणाम है।

नीतीश कुमार के शासनकाल की शुरुआत में वर्ष 2005 तक बिहार में मात्र 14,468 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ था। यह आंकड़ा 2025 तक बढ़कर 26,000 किलोमीटर से अधिक हो गया है। इसमें सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि गुणवत्ता और चौड़ाई दोनों में बेहतरीन सुधार देखने को मिला है। इस विस्तार के केंद्र में पथ निर्माण विभाग की सक्रिय भूमिका, नीति-निर्माण में पारदर्शिता और राज्य सरकार की दूरदर्शिता रही है।

राष्ट्रीय और राज्य उच्च पथों में हुआ ऐतिहासिक विस्तार

राज्य के भीतर और बाहर की कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय उच्च पथ (NH) और राज्य उच्च पथ (SH) की लंबाई में हुआ उल्लेखनीय इज़ाफा, बिहार के बदलते विकास मानकों का परिचायक है।

राष्ट्रीय उच्च पथ

वर्ष 2005 में बिहार में NH की लंबाई मात्र 3,629 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 6,147 किलोमीटर हो गई है।

राज्य उच्च पथ

इन्हीं दो दशकों में SH की लंबाई 2,382 किलोमीटर से बढ़कर 3,638 किलोमीटर हो गई है।इसके अलावा, वृहद जिला पथ (Major District Roads), जो गाँवों और कस्बों को मुख्य मार्गों से जोड़ते हैं, उनकी लंबाई भी 8,457 किलोमीटर से बढ़कर 16,296 किलोमीटर हो गई है।इस डेटा को देखने से यह साफ होता है कि न केवल लंबाई में बल्कि मार्गों की गुणवत्ता और चौड़ाई में भी बड़ा परिवर्तन आया है।

लेन-वृद्धि से बढ़ी स्पीड और सुरक्षा

जहां पहले बिहार की अधिकांश सड़कें सिंगल या इंटरमीडिएट लेन थीं, अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है:

राष्ट्रीय उच्च पथ (NH)

सिंगल लेन: 764 किमी से घटकर 186 किमी

डबल लेन: 1,208 किमी से बढ़कर 3,278 किमी

चार और छह लेन: अब कुल 1,704 किमी

राज्य उच्च पथ (SH)

दो लेन: 52 किमी से बढ़कर 2,786 किमी

सिंगल/इंटरमीडिएट लेन: 286 और 292 किमी

वृहद जिला पथ

दो व चार लेन की लंबाई में निरंतर बढ़ोतरी देखी जा रही है।

यह न केवल यात्रा की गति बढ़ाता है, बल्कि सड़क सुरक्षा और यातायात नियंत्रण को भी बेहतर बनाता है।

बिहार में एक्सप्रेसवे की नई इबारत

2005 से पहले तक बिहार में एक भी एक्सप्रेसवे नहीं था। लेकिन अब राज्य में पाँच महत्त्वपूर्ण एक्सप्रेसवे परियोजनाएं प्रक्रियाधीन हैं, जो न केवल तेज गति से यात्रा को संभव बनाएंगी बल्कि आर्थिक विकास को भी गति देंगी।

प्रस्तावित एक्सप्रेसवे

रक्सौल-हल्दिया – 408 किमी

गोरखपुर-सिलीगुड़ी – 417 किमी

पटना-पूर्णिया – 250 किमी

बक्सर-भागलपुर – 300 किमी

वाराणसी-कोलकाता – 161 किमी

इन परियोजनाओं से बिहार को देश के प्रमुख बंदरगाहों और औद्योगिक क्षेत्रों से जोड़ने में मदद मिलेगी।

'हर कोने से पटना 3.5 घंटे में' मिशन: नए बिहार का सपना

वर्ष 2027 तक बिहार सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के किसी भी कोने से पटना अधिकतम साढ़े तीन घंटे में पहुंचा जा सके। पहले ही सरकार द्वारा पांच घंटे में राजधानी पहुंचने की व्यवस्था को सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है। यह मिशन केवल यात्रा समय को घटाने की योजना नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य के विकास और एकीकृत आर्थिक क्षेत्र की दिशा में उठाया गया कदम है।