IAS KK Pathak: बिहार के IAS अधिकारी केके पाठक को अचानक बुलाया गया दिल्ली! केंद्र सरकर सौंपी दी ये बड़ी जिम्मेदारी, जानें पूरी बात
बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक को केंद्र सरकार ने दिल्ली बुलाया है। उन्हें कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव नियुक्त किया गया है। पढ़ें उनका पूरा प्रशासनिक सफर और विवादों की चर्चा।

IAS KK Pathak: बिहार के चर्चित और तेज़-तर्रार छवि वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केशव कुमार पाठक उर्फ केके पाठक को केंद्र सरकार ने दिल्ली बुला लिया है। उन्हें कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव (एडिशनल सेक्रेटरी) की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मोदी सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी। फिलहाल केके पाठक बिहार राजस्व एवं भूमि सुधार बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे। लेकिन अब वे केंद्रीय सेवा में प्रतिनियुक्ति पर काम करेंगे।
कौन हैं केके पाठक?
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी केके पाठक 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्हें बेहद अनुशासित, स्पष्टवक्ता और निर्णायक अफसर के रूप में जाना जाता है। अपने पूरे कैरियर में वे कई प्रमुख विभागों में काम कर चुके हैं, जिनमें मद्य निषेध, राजस्व, परिवहन और शिक्षा विभाग प्रमुख हैं।
शिक्षा विभाग में रहे चर्चा में
जून 2023 में जब बिहार में महागठबंधन सरकार थी, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें एसीएस (अपर मुख्य सचिव), शिक्षा विभाग बनाया था। इस दौरान उन्होंने स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति, पठन-पाठन की गुणवत्ता और प्रशासनिक अनुशासन पर विशेष ध्यान दिया।उनके कई फैसलों से शिक्षक संगठनों में नाराजगी भी देखी गई। उनका तत्कालीन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से टकराव भी चर्चा में रहा। इस कारण उनका कार्यकाल हमेशा सुर्खियों में रहा।
सत्ता परिवर्तन के बाद बदला गया विभाग
2023 के अंत में जब बिहार में राजनीतिक समीकरण बदले और भाजपा के समर्थन से नीतीश कुमार ने फिर सरकार बनाई, तो केके पाठक को शिक्षा विभाग से हटा दिया गया। उनकी जगह एस सिद्धार्थ को इस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। केके पाठक को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में भेजा गया।इसी दौरान उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया था, जिस पर अब लगभग एक साल बाद केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी।
केके पाठक की कार्यशैली और विवाद
केके पाठक की पहचान एक कड़क और स्पष्टवादी अफसर की रही है। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो, खासकर शिक्षकों को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए, काफी वायरल हुए। जहां एक ओर उन्हें ईमानदार और सुधारवादी अफसर माना गया, वहीं दूसरी ओर उनके तीखे शब्दों और व्यवहार को लेकर कई बार विवाद भी हुए।उनकी शैली पर सवाल उठाने वालों का मानना है कि वे अधिकारियों और कर्मचारियों से रुक्ष भाषा में बात करते हैं। जबकि समर्थक कहते हैं कि उन्होंने बिहार जैसे राज्य में प्रशासनिक सख्ती के जरिये व्यवस्था में अनुशासन लाने की कोशिश की।