IAS from Bihar: सिविल सेवा में बिहार का फिर लहराया परचम, 15 युवाओं को मिला IAS, कैडर लिस्ट में भी राज्य की दमदार मौजूदगी

IAS from Bihar:सिविल सेवा परीक्षा 2024 के नतीजों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार की मिट्टी में मेहनत, जज्बा और कामयाबी की खास खुशबू बसती है। इस बार राज्य से 15 युवा IAS बने हैं....

Bihar shines again in civil services
सिविल सेवा में बिहार का फिर लहराया परचम- फोटो : social Media

IAS from Bihar:सिविल सेवा परीक्षा 2024 के नतीजों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार की मिट्टी में मेहनत, जज्बा और कामयाबी की खास खुशबू बसती है। इस बार राज्य से 15 युवाओं ने IAS बनकर न सिर्फ अपने घर-परिवार का, बल्कि पूरे बिहार का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। यह महज आंकड़ा नहीं, बल्कि उस लंबी साधना, सब्र और संघर्ष की दास्तान है, जो वर्षों की तैयारी के बाद कामयाबी में तब्दील होती है।

बिहार लंबे अरसे से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का मजबूत गढ़ रहा है। पटना, गया और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों की गलियों से निकलकर हजारों छात्र दिल्ली और दूसरे बड़े कोचिंग हब तक पहुंचते हैं। कोई किराए के छोटे कमरे में, तो कोई लाइब्रेरी की खामोशी में अपने ख्वाबों को आकार देता है। इस बार सफल हुए 15 IAS अधिकारी उसी परंपरा की कड़ी हैं, जिन्होंने दिखा दिया कि हालात चाहे जैसे हों, अगर इरादे पुख्ता हों तो मंजिल दूर नहीं रहती।

UPSC 2024 के नतीजों के बाद अब कैडर अलॉटमेंट को लेकर भी उत्साह चरम पर है। कैडर लिस्ट तय करती है कि एक IAS अधिकारी अपनी सेवा की शुरुआत किस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से करेगा। यह फैसला रैंक, कैडर प्रेफरेंस और सरकारी नीति के आधार पर होता है। इस बार बिहार कैडर को कुल 10 IAS अधिकारी मिले हैं, जो राज्य के प्रशासनिक ढांचे के लिए बड़ी राहत और ताकत माने जा रहे हैं।

सबसे खास बात यह रही कि AIR 8 हासिल करने वाले सीतामढ़ी के बेटे राज कृष्ण झा को होम कैडर यानी बिहार मिला है। यह न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे इलाके के लिए फख्र की बात है। इसके अलावा हेमंत (AIR 13), संस्कृति त्रिवेदी (AIR 17), शोभिका पाठक (AIR 37), कुमुद मिश्रा (AIR 69) समेत कई नामों ने यह साबित किया कि बिहार की प्रतिभा किसी एक जिले या वर्ग तक सीमित नहीं है।

IAS बनने के बाद कैडर अलॉटमेंट अधिकारी के पूरे करियर की दिशा तय करता है। शुरुआती पोस्टिंग से लेकर प्रशासनिक अनुभव तक, यही कैडर उसकी पहचान बनता है। पहले भी बिहार से निकले कई IAS अधिकारियों ने दूसरे राज्यों में बेहतरीन काम किया और बाद में केंद्र सरकार में अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं।

आज जब पूरे देश में यूपीएससी की कामयाबी की चर्चा हो रही है, तब बिहार एक बार फिर सुर्खियों में है। यह कामयाबी सिर्फ 15 नामों की नहीं, बल्कि उस उम्मीद की है जो हर साल हजारों युवाओं को किताबों के बीच सपने देखने की हिम्मत देती है।