Bihar Free Electricity:बिहार के लोगों को मिलेगी और सस्ती बिजली, फ्री बिजली के स्लैब व्यवस्था का जानिए नया गुणा गणित
Bihar Free Electricity: बिहार के उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में राहत की राह साफ होती दिख रही है। ....
Bihar Free Electricity: बिहार के उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में राहत की राह साफ होती दिख रही है। राज्य की बिजली कंपनियों ने आगामी वित्त वर्ष के लिए ऐसा प्रस्ताव बिहार विद्युत विनियामक आयोग को सौंपा है, जिसके मंज़ूर होते ही एक अप्रैल 2026 से शहरी क्षेत्रों में बिजली पहले से कहीं सस्ती हो जाएगी। इस फैसले का सीधा लाभ राज्य के 35 लाख से अधिक शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा। प्रस्तावित व्यवस्था के लागू होने के बाद शहरों में भी गांवों की तरह एकल स्लैब पर बिजली उपलब्ध होगी, जिससे मासिक खर्च में उल्लेखनीय कमी आएगी।
बिजली कंपनियों ने पिछले वर्ष ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए दो स्लैब को हटाकर एक स्लैब व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे आयोग ने मंज़ूरी दे दी। इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए अब शहरी उपभोक्ताओं के लिए भी एक स्लैब व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। वर्तमान व्यवस्था में 1 से 100 यूनिट तक की अनुदानरहित दर 7.42 रुपये प्रति यूनिट है, जिस पर सरकार 3.30 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी देती है। इस प्रकार उपभोक्ताओं को 4.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल चुकाना पड़ता है। हालांकि, जुलाई 2025 से 125 यूनिट तक की बिजली खपत को नि:शुल्क घोषित किए जाने के बाद उपभोक्ताओं को पहले स्लैब में किसी प्रकार का भुगतान नहीं करना होता।
दूसरा स्लैब 100 यूनिट से अधिक की खपत पर लागू होता है, जिसकी अनुदानरहित दर 8.95 रुपये प्रति यूनिट है। सरकार इसमें 3.43 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी देती है और उपभोक्ताओं को 5.52 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल चुकाना होता है। अब बिजली कंपनी ने इस दूसरे स्लैब को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है, जिससे बिजली बिल में और भारी कमी आएगी।
शहरी परिवार सामान्यतः 200 से 225 यूनिट प्रतिमाह बिजली खपत करते हैं। 125 यूनिट मुफ्त होने के बाद यदि कोई परिवार अतिरिक्त 100 यूनिट भी खर्च करता है, तो हर महीने लगभग 140 रुपये की सीधी बचत होगी। बिजली कंपनी के आँकड़ों के अनुसार, शहरी उपभोक्ताओं की संख्या हर वर्ष तेज़ी से बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2023–24 में राज्य में 30 लाख 43 हजार 930 शहरी घरेलू उपभोक्ता थे, जबकि वित्त वर्ष 2024–25 में यह संख्या बढ़कर 31 लाख 48 हजार 9 हो गई। वर्तमान में यह संख्या 35 लाख से अधिक हो चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद राज्य भर के उपभोक्ताओं को सामूहिक रूप से हर महीने लगभग 50 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। प्रस्ताव आयोग की मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहा है, जिसके बाद इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू होगी।