Bihar Crime Control:बदल गया संगठित अपराध का परिभाषा, DGP विनय कुमार का अधिकारियों को सख्त आदेश, अब अपराधियों की नहीं है खैर, भाग जाओ नहीं तो..

डीजीपी ने राज्य की पुलिसिंग में एक ऐसा प्रयोग शुरू किया है, जो अब तक बिहार में लागू नहीं था—अपराध की नई परिभाषा और संगठित अपराध की विस्तृत श्रेणी।

DGP vinay Kumar
बिहार में बदमाशों की खैर नही, डीजीपी की खरी खरी- फोटो : social Media

Bihar Crime Control: नीतीश सरकार 10.0 में गृहमंत्री बने सम्राट चौधरी और डीजीपी विनय कुमार की जोड़ी ने बिहार में अपराध की रफ्तार और रूप दोनों पर लगाम कसने के लिए बड़ा समीकरण बदल दिया है। डीजीपी ने राज्य की पुलिसिंग में एक ऐसा प्रयोग शुरू किया है, जो अब तक बिहार में लागू नहीं था अपराध की नई परिभाषा और संगठित अपराध की विस्तृत श्रेणी।

डीजीपी विनय कुमार ने सभी जिलों के SSP और SP को साफ निर्देश जारी किया है कि संगठित अपराध का मतलब सिर्फ बड़े गैंग, गिरोह या हाई-प्रोफाइल मामलों से नहीं है। पुलिस जिस तरह अब तक छोटी चोरी, झपटमारी, चीटिंग जैसे मामलों को छोटे अपराध मानकर हल्के में लेती रही है, वही अब संगठित अपराध की श्रेणी में आएंगे। यानी अपराध का पैमाना नहीं—स्वरूप और अपराधी का नेटवर्क अहम होगा।

डीजीपी ने पहली बार “छोटे संगठित अपराध” की अलग श्रेणी बना दी है। इसके तहत चोरी, झपटमारी, जालसाजी/चीटिंग, टिकटों की अवैध बिक्री, जुआ–सट्टा, प्रश्नपत्र बिक्री जैसे अपराध, इन सभी को विशेष प्रतिवेदित कांड (SR केस) घोषित करने का आदेश है। मतलब—हर केस पर विशेष निगरानी, रिपोर्टिंग और ट्रैकिंग अनिवार्य होगी।

जो भी व्यक्ति किसी छोटे या बड़े गिरोह का सदस्य होकर  चोरी,  ATM कटिंग, वाहन और घरों से चोरी, छल–कपट, अवैध टिकट बिक्री, किसी आर्थिक या साइबर अपराध जैसे मामलों में शामिल है, वह छोटे संगठित अपराध का अपराधी माना जाएगा।दो या अधिक लोगों के समूह द्वारा लगातार अपराध करना अब संगठित अपराध माना जाएगा। इसमें शामिल अपहरण, डकैती, यान चोरी, जमीन कब्जा (लैंड ग्रैबिंग), कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, साइबर ठगी, आर्थिक अपराध,  अवैध हथियार तस्करी, मानव तस्करी हैं।डीजीपी नेभारतीय न्याय संहिता 2023 की धाराओं का हवाला देते हुए कहा कि छोटे अपराधों में शामिल अपराधी आगे चलकर बड़े सिंडिकेट का हिस्सा बन जाते हैं। इसलिए शुरुआत में ही नेटवर्क को काटना जरूरी है।

डीजीपी ने आदेश दिया है कि पुलिस अकादमी, राजगीर और सभी प्रशिक्षण केंद्र इस नई श्रेणीकरण और SOP को अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएँ। यानी आने वाली पीढ़ी की पुलिसिंग नए नजरिए पर आधारित होगी। बहरहाल सम्राट चौधरी के कार्यभार संभालते ही बिहार में अपराध की परिभाषा बदल रही है, और पुलिसिंग को अटैक–मो़ड में ढालने की तैयारी शुरू हो गई है।