बिहार चुनाव 2025: कांग्रेस में 'राजनीतिक वारिसों' को झटका, दिग्गजों के बेटा-बेटी को टिकट नहीं
बिहार में कांग्रेस में नेता पुत्रों-पुत्रियों को इस बार खास तरजीह नहीं मिली है.

N4N डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस पार्टी ने राजनीतिक परिवारों के 'वारिसों' (बेटों और बेटियों) को टिकट देने में सख्ती दिखाई है। पहले चरण के नामांकन समाप्त होने के करीब आने के बावजूद, पार्टी ने युवा पीढ़ी को तरजीह देने की जगह अनुभवी और पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है।
किसे नहीं मिली तरजीह?
मीरा कुमार के बेटे: लोकसभा की पूर्व स्पीकर और पूर्व उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटीमीरा कुमारअपने बेटेअंशुल अविजीतके लिए टिकट की मांग कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अंशुल पिछले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से उम्मीदवार थे।
शकील अहमद के बेटे: पूर्व केंद्रीय मंत्रीशकील अहमदभी अपने बेटे के लिए बिहार से टिकट चाह रहे थे, लेकिन उनकी ख्वाहिश पूरी नहीं हुई।
मदन मोहन झा के बेटे: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसीमदन मोहन झाके बेटे को भी टिकट नहीं मिला। केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) ने इन दोनों की लोगों के बीच कम मौजूदगी को इसका कारण बताया।
अभिनेत्री नेहा शर्मा: चार बार के विधायक और वरिष्ठ नेताअजीत शर्माअपनी फिल्म अभिनेत्री बेटीनेहा शर्माके लिए टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने बेटी की जगह पिता अजीत शर्मा को ही उम्मीदवार बनाया।
पिता पर भरोसा, बेटे का टिकट कटा
पूर्व विधायकअवधेश कुमार सिंहने अपने बेटेशशि शेखर सिंहके लिए वजीरगंज सीट से टिकट मांगा था। शशि शेखर 2020 का चुनाव हार गए थे। इसलिए, पार्टी ने बेटे की जगह खुद पिताअवधेश सिंहको ही मैदान में उतारा है। अब उनका मुकाबला बीजेपी के वीरेंद्र सिंह से होगा।
अखिलेश प्रसाद सिंह की सीट फंसी
सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्षअखिलेश प्रसाद सिंहअपने बेटे के लिए कुर्था सीट से टिकट मांग रहे हैं, लेकिन यह सीट अभी महागठबंधन में सीट बंटवारे की उलझन में फंसी हुई है।
कांग्रेस में नाराजगी
टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेतातारिक अनवरने खुलकर नाराजगी जताई है। उन्होंने सवाल उठाया कि 30 हजार से ज्यादा वोटों से हारने वाले प्रत्याशी को फिर से टिकट दिया गया है, जबकि महज 113 वोटों से हारने वाले पूर्व विधायक गजानंद शाहीका टिकट काट दिया गया।