एक तीर से दो निशाने: बिहार का डैमेज कंट्रोल और बंगाल की उम्मीद, जानिए नितिन नवीन की ताजपोशी के सियासी मायने

बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन को भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी ने अपने इस फैसले से दो निशाने साधने की कोशिश की है। जिसमें एक कनेक्शन सीधे आनेवाले पश्चिम बंगाल से जुड़ा है।

एक तीर से दो निशाने: बिहार का डैमेज कंट्रोल और बंगाल की उम्म

Patna - भारतीय जनता पार्टी ने रविवार, 14 दिसंबर 2025 को एक चौंकाने वाला लेकिन रणनीतिक फैसला लेते हुए बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (National Working President) नियुक्त किया है । यह नियुक्ति न केवल बिहार की जातिगत राजनीति को साधने का प्रयास है, बल्कि इसके तार अगले साल (2026) होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से भी सीधे जुड़े हैं। इस "मास्टरस्ट्रोक" के पीछे के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों को समझना आवश्यक है।

बिहार: कोर वोटबैंक की 'नाराजगी' और डैमेज कंट्रोल

बिहार में कायस्थ मतदाता भाजपा का सबसे विश्वसनीय और पारंपरिक 'कोर वोटबैंक' माना जाता रहा है। हालांकि, पिछले कुछ समय से टिकट वितरण और सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर इस समुदाय के भीतर एक दबी हुई नाराजगी देखी जा रही थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा इस वर्ग को 'फॉर ग्रांटेड' नहीं लेना चाहती।

नितिन नवीन, जो पहले से बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, को अब राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी अध्यक्ष जैसा बड़ा पद देकर भाजपा ने यह साफ संदेश दिया है कि पार्टी अपने समर्पित कार्यकर्ताओं और इस समुदाय की उपेक्षा नहीं कर रही है। यह नियुक्ति बिहार में सवर्ण मतदाताओं के विश्वास को पुनः सुदृढ़ करने की कवायद है।

'मिशन बंगाल 2026': भद्रलोक और कायस्थ कनेक्शन

इस नियुक्ति का सबसे दिलचस्प पहलू पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। बंगाल की राजनीति में 'कायस्थ नेतृत्व' का इतिहास बेहद प्रभावशाली रहा है।

37 साल का इतिहास

पश्चिम बंगाल में लगभग 37 साल तक सत्ता की चाबी कायस्थ मुख्यमंत्रियों के हाथ में रही है। जिसमें ज्योति बसु (सीपीएम) 23 साल और विधानचंद्र राय के पास 14 साल सत्ता रही।  बंगाल का 'भद्रलोक' (बौद्धिक वर्ग) इस समुदाय से गहरा ताल्लुक रखता है।

नितिन नवीन की भूमिका 

भाजपा पिछले चुनावों में बंगाल में अपनी पैठ बनाने में सफल रही है, लेकिन 'सांस्कृतिक कनेक्ट' की कमी अक्सर खली है। नितिन नवीन एक युवा और तेजतर्रार कायस्थ चेहरा हैं। उन्हें राष्ट्रीय पटल पर लाकर भाजपा बंगाल के शहरी और प्रबुद्ध वर्ग को यह संकेत देना चाहती है कि उनके पास ऐसा नेतृत्व है जो उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर सकता है।

युवा नेतृत्व और नई भाजपा

भाजपा महासचिव अरुण सिंह द्वारा जारी पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि यह नियुक्ति "तत्काल प्रभाव" से लागू होगी । यह दर्शाता है कि पार्टी 2026 के चुनावी समर के लिए अभी से 'वॉर मोड' में आ गई है। नितिन नवीन का चयन यह भी बताता है कि भाजपा अब 70+ की उम्र पार कर चुके नेताओं के बजाय अगली पीढ़ी (Next Gen) के नेताओं के हाथ में कमान सौंपने की रणनीति पर काम कर रही है।

नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाना 'एक तीर से दो निशाने' जैसा है। एक तरफ यह बिहार में पार्टी के आधार को मजबूत करेगा, तो दूसरी तरफ बंगाल चुनाव में भाजपा को एक ऐसा चेहरा देगा जो वहां के ऐतिहासिक 'कायस्थ प्रभुत्व' वाले समीकरण में फिट बैठ सकता है। अब देखना यह होगा कि यह सोशल इंजीनियरिंग 2026 के चुनावों में कितनी कारगर साबित होती है।

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