Patna Double Decor Bridge : बिहार का पहला डबल डेकर फ्लाईओवर तैयार,इस दिन से दौड़ेंगी गाड़ियां , पटना को जाम से मिलेगी राहत

Patna Double Decor Bridge:पटना में यातायात की बढ़ती चुनौती को देखते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अशोक राजपथ जैसे अत्यधिक व्यस्त मार्ग पर बनने वाला यह डबल डेकर फ्लाईओवर न केवल राज्य का पहला ऐसा ढांचा है, बल्कि यह शहरी बुनियादी ढांचे में तकनीकी न

Patna Double Decor Bridge
बिहार का पहला डबल डेकर फ्लाईओवर तैयार- फोटो : reporter

Patna Double Decor Bridge : बिहार की राजधानी पटना में यातायात की बढ़ती चुनौती को देखते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अशोक राजपथ जैसे अत्यधिक व्यस्त मार्ग पर बनने वाला यह डबल डेकर फ्लाईओवर न केवल राज्य का पहला ऐसा ढांचा है, बल्कि यह शहरी बुनियादी ढांचे में तकनीकी नवाचार और दूरदर्शिता का भी परिचायक है।

कारगिल चौक से साइंस कॉलेज तक फैला यह 2.2 किलोमीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा पुल, क्षेत्र के हजारों वाहन चालकों के लिए राहत बनकर सामने आएगा। पुल का पहला तल 1.5 किमी लंबा है, जो पटना कॉलेज से बीएन कॉलेज तक फैला है, जबकि ऊपरी तल की पूरी लंबाई 2.2 किमी है, जो गांधी मैदान को सीधे साइंस कॉलेज से जोड़ता है।

इस दोहरे स्तर के फ्लाईओवर की खासियत यह है कि यह गाड़ियों की दिशा के अनुसार डिवाइडेड ट्रैफिक मूवमेंट की सुविधा देता है—ऊपरी तल से गांधी मैदान से साइंस कॉलेज की ओर और निचले तल से साइंस कॉलेज से गांधी मैदान की दिशा में यातायात सुचारू रहेगा। इस विभाजन से ट्रैफिक का क्रॉस फ्लो घटेगा और दुर्घटनाओं की संभावना भी कम होगी।

422 करोड़ रुपये की लागत से बने इस फ्लाईओवर का असर सिर्फ ट्रैफिक तक सीमित नहीं रहेगा। यह पीएमसीएच जैसे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, पटना विश्वविद्यालय, बीएन कॉलेज और साइंस कॉलेज जैसे प्रमुख संस्थानों तक पहुंच को आसान बनाएगा। खासकर मरीजों, विद्यार्थियों, शिक्षकों, और व्यापारियों को समय और ऊर्जा की बचत होगी।

इसके अतिरिक्त, पुल के पास प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन (विवि स्टेशन) की लिफ्ट सुविधा एकीकृत ट्रांजिट सिस्टम को मजबूती प्रदान करेगी और पटना की भविष्य की मेट्रो परियोजनाओं के साथ इस फ्लाईओवर की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी।

डबल डेकर फ्लाईओवर का यह प्रोजेक्ट केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि पटना के ट्रैफिक नियोजन में एक दूरगामी और स्मार्ट समाधान की दिशा में बड़ा कदम है। यह आने वाले वर्षों में शहरी जीवन को अधिक गतिशील, व्यवस्थित और समय-केंद्रित बनाने में मदद करेगा।