अपराधियों को सजा दिलाना होगा और ज्यादा आसान ! बिहार के सभी जिलों में स्थापित होगी एफएसएल
बिहार में अपराधियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए राज्य के सभी जिलों में एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) स्थापना का निर्णय लिया गया है.

Bihar News: बिहार के सभी जिलों में जल्द ही एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) कार्यालय की स्थापना की जाएगी। सभी जिलों में कम से कम एक कार्यालय स्थापित करने की योजना है। वर्तमान में पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, राजगीर और पूर्णिया में एफएसएल कार्यालय या चलंत विधि विज्ञान इकाई कार्यरत हैं। इनके अतिरिक्त बचे हुए सभी जिलों में इसकी स्थापना करने के लिए पुलिस महकमा के सीआईडी विंग की तरफ से कवायद तेज कर दी गई है। इसके साथ ही सभी कार्यालयों में कम से कम एक-एक एफएसएल मोबाइल वाहन की भी तैनाती की जाएगी। वर्तमान में ऐसे मोबाइल वाहनों की संख्या 17 है, जिनकी तैनाती पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर समेत 13 अलग-अलग जिलों में है।
बिहार पुलिस के एडीजी सीआईडी पारसनाथ ने कहा कि एफएसएल का कार्यालय सभी जिलों में खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही 17 मौजूदा एफएसएल वैन के अतिरिक्त 34 नए वाहनों के खरीद की प्रक्रिया अक्टूबर तक पूरी कर ली जाएगी। 50 अतिरिक्त वाहनों की खरीद के लिए गृह विभाग को अनुरोध पत्र भेजा जा रहा है। एफएसएल को जिला स्तर पर सुदृढ़ करने की प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जाएगी।
वैन की संख्या बढ़ाने पर खास फोकस
सीआईडी के स्तर पर एफएसएल वैन की संख्या बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। ताकि आने वाले समय में सभी जिलों में कम से कम एक मोबाइल वैन की प्रतिनियुक्ति कर दी जाए। फिलहाल 34 ऐसे वैन की खरीद की प्रक्रिया जारी है, जिसके इस वर्ष अक्टूबर तक पूरी हो जाने की संभावना है। अक्टूबर के बाद इन वैन की संख्या 51 हो जाएगी। इससे बड़े शहरों या जिन जिलों में अधिक एफआईआर होती है, वहां इनकी संख्या एक से अधिक बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा 50 ऐसे विशेष वाहनों की मांग गृह विभाग से की जाएगी। आगामी एक सप्ताह में इसकी मांग से संबंधित प्रस्ताव गृह विभाग के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जाएगा।
यह खासियत होती है इन वैन की
यह वैन फॉरेंसिक जांच के सभी अत्याधुनिक उपकरणों से लैस रहती है। इसमें फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट, नारकोटिक्स, रक्त समेत अन्य जैविक प्रदर्शों समेत अन्य को संकलित करने के लिए किट मौजूद रहते हैं। उच्च क्षमता वाला कैमरा और कृत्रिम लाइट के स्रोत भी उपलब्ध रहते हैं। इससे घटना स्थल पर प्रदर्श की जांच करने में काफी सहूलियत होती है।
इस कारण बढ़ी इसकी आवश्यकता
देश में नया कानून बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) के लागू होने के बाद जिन अपराधों के लिए 7 वर्ष या इससे अधिक की सजा निर्धारित है, उनमें मौके वारदात या घटना स्थल पर एफएसएल की टीम या वैन की मदद से जांच करना अनिवार्य होता है। बीएनएस के लागू होने के बाद इस तरह के जांच की प्रासंगिकता बढ़ गई है।
73 फीसदी मामलों का हुआ निष्पादन
नए कानून के लागू होने के बाद से अब तक 16 हजार 486 एफआईआर या कांडों में घटना स्थल पर एफएसएल वाहन या टीम की मांग समुचित जांच करने के लिए की गई थी। यह मांग जिला स्तर से की गई। इसमें 12 हजार से अधिक कांडों में स्पॉट पर पहुंच कर एफएसएल ने जांच की, जो कुल कांड का 73 प्रतिशत है। भविष्य में इसे बढ़ाकर सौ फीसदी करने के लिए तमाम कवायद शुरू की गई है।