आर्यभट्ट की कर्मभूमि बनेगा 'एस्ट्रो टूरिज्म हब', 100 एकड़ में बनेंगे म्यूजियम और रिसर्च सेंटर, जर्जर वेधशाला का निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी
Patna - महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट की कर्मभूमि तारेगना (मसौढ़ी) को अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 'एस्ट्रो टूरिज्म हब' के रूप में विकसित करने की कवायद तेज हो गई है। इसी सिलसिले में सोमवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त सचिव मंजीत कुमार के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय टीम ने तारेगना का दौरा किया।
टीम ने वहां स्थित आर्यभट्ट की ऐतिहासिक लेकिन जीर्ण-शीर्ण और अतिक्रमित हो चुकी वेधशाला के अवशेषों का बारीकी से निरीक्षण किया। अधिकारियों ने पूरे क्षेत्र का भौतिक सत्यापन किया और इसे पर्यटन के नक्शे पर लाने की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की।
एक हफ्ते में मांगी रिपोर्ट, अतिक्रमित जमीन होगी खाली
निरीक्षण के दौरान संयुक्त सचिव ने सख्त रुख अपनाते हुए मौके पर मौजूद अंचलाधिकारी (सीओ) को निर्देश दिया कि वेधशाला के अवशेष और उसके आसपास का नजरी नक्शा तैयार करें। उन्होंने वहां बसे लोगों के घरों को चिह्नित करने और आसपास के सभी प्लॉट की विस्तृत जांच रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर सौंपने का आदेश दिया है।
प्रशासन की योजना है कि वेधशाला की जमीन पर बसे लोगों को वहां से हटाकर दूसरी जगह जमीन दी जाएगी और उनके रहने की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी, ताकि इस ऐतिहासिक स्थल को अतिक्रमण मुक्त कराया जा सके।
50 से 100 एकड़ में सजेगा 'एस्ट्रो टूरिज्म' का सपना सीओ प्रभात रंजन ने बताया कि सरकार की योजना तारेगना को एक भव्य टूरिज्म पैलेस के रूप में विकसित करने की है। इसके लिए लगभग 50 से 100 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। इस विशाल परिसर में एक भव्य म्यूजियम, लाइब्रेरी, स्टडी सेंटर और अत्याधुनिक शोध केंद्र (Research Center) का निर्माण किया जाएगा।
आर्यभट्ट टीला के आसपास जमीन चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा, पर्यटकों की सुविधा के लिए पहुंच पथ के चौड़ीकरण और नई सड़कों के निर्माण का कार्य अनुमंडल स्तर से आगे बढ़ाया जाएगा।
आर्यभट्ट की ऐतिहासिक कर्मभूमि और रोजगार के अवसर
तारेगना का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी खास है क्योंकि महान खगोलविद आर्यभट्ट ने इसे अपनी खगोलीय कर्मस्थली बनाया था। यहीं रहकर उन्होंने तारों और ग्रहों की गणना की थी और अपनी वेधशाला स्थापित की थी।
यही कारण है कि इस जगह का नाम 'तारेगना' (तारों की गणना) पड़ा। निरीक्षण के मौके पर आर्यभट्ट चेतना मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सुनील कुमार गावस्कर और नवल भारती समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
उनका मानना है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से न केवल यह स्थल अंतर्राष्ट्रीय पहचान हासिल करेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार और क्षेत्र में आर्थिक उन्नति के नए अवसर भी पैदा होंगे।