International Yoga Day :योग ही जीवन, योग दिवस पर मुंगेर-नालंदा- कटिहार में विशाल आयोजन,गिरिराज ने दिया स्वस्थ जीवन का मंत्र

International Yoga Day :आज, जब हमारी आधुनिक जीवनशैली ने हमें मनोकायिक रोगों के भंवर में धकेल दिया है, योग ही हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन की गारंटी दे सकता है. योग गुरुओं का यह कथन बिल्कुल सटीक है कि "यह समय दवा से नहीं, विचार से उपचार का है...

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योग ही जीवन- फोटो : reporter

International Yoga Day :आज, जब हमारी आधुनिक जीवनशैली ने हमें मनोकायिक रोगों के भंवर में धकेल दिया है, योग ही हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन की गारंटी दे सकता है. योग गुरुओं का यह कथन बिल्कुल सटीक है कि "यह समय दवा से नहीं, विचार से उपचार का है." दवाओं के सर्वविदित दुष्प्रभाव और लगातार महंगी होती चिकित्सा प्रणाली रोगों का तात्कालिक समाधान तो दे सकती है, लेकिन अक्सर रोग फिर से उभर आते हैं. ऐसे में, यह अनिवार्य हो जाता है कि हमारी जीवनशैली इतनी योगमय हो कि रोग फैलाने वाले तत्व हमारे शरीर को अपना घर न बना सकें.

बिहार सहित पूरा देश ग्यारहवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस अदम्य उत्साह और उल्लास के साथ मना रहा है. लाखों लोगों का बड़े आयोजनों में जुड़ना इस बात का प्रमाण है कि भारत ने अपनी सदियों पुरानी योग की विरासत को पूर्ण रूप से अंगीकार कर लिया है, और यह विरासत वैश्विक पटल पर भी अपनी छाप छोड़ रही है.

योग नगरी मुंगेर में योग दिवस की अद्भुत छटा

पूरे विश्व में 'योग नगरी' के नाम से विख्यात मुंगेर में आज विश्व योग दिवस की एक अलग ही छटा देखने को मिल रही है. योग आश्रम से लेकर जिले के विभिन्न कोनों में, युवा, बच्चे और महिलाएं उत्साहपूर्वक योग कर इस विशेष दिन को मना रहे हैं. मुंगेर ने वैश्विक पटल पर योग को जन-जन तक पहुँचाकर इसे लोगों की जीवन पद्धति से जोड़ दिया है. यहाँ, योग नगरी में, योग दिवस का माहौल ही अलग है. मुंगेर में योगाश्रम से लेकर घरों और मैदानों तक में योग का अभ्यास किया जा रहा है.

मुंगेर योगाश्रम के 'पादुका दर्शन' में स्वामी शाश्वत लोगों को योग की विभिन्न मुद्राएँ करके सिखा रहे हैं. वहीं, मुंगेर यूनिवर्सिटी के प्रांगण में कुलपति, कर्मी और युवाओं के साथ योग गुरुओं द्वारा योग दिवस मनाया जा रहा है, जहाँ आसन और प्राणायाम के जरिए योग के फायदे बताए जा रहे हैं. मुंगेर किलकारी बाल भवन में भी बच्चों को जन औषधि के बैनर तले योग शिक्षकों द्वारा योग शिक्षा दी जा रही है. योग गुरुओं के अनुसार, आज के समय में योग को जीवन में आत्मसात करने की नितांत आवश्यकता है. आज यह संकल्प लिया गया कि "पहले योग, उसके बाद जलपान करेंगें. योग को जीवन पद्धति में उतारकर स्वयं को निरोग बनाएंगे."

नालंदा से केंद्रीय मंत्री का 'स्वस्थ जीवन' का संदेश

11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर नव नालंदा महाविहार परिसर में एक विशेष योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का नेतृत्व केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने किया. उन्होंने स्वयं योग कर देशवासियों को स्वस्थ और निरोग जीवन का संदेश दिया. मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, "योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है. इसे अपनाकर हम न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रह सकते हैं. कोविड काल में जिन देशों ने योग को अपनाया, वहां इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले. आज 177 देश योग दिवस को स्वीकार कर चुके हैं." उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और इसे जीवनशैली में शामिल कर लाभ उठाएं.

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम "एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य – प्रीवेंटिव हेल्थ के लिए योग" रखी गई थी. इस बार देशभर में तीस करोड़ लोगों ने योग में भाग लिया, जिनमें 30% महिलाएं शामिल रहीं. कार्यक्रम के अंत में “योग करें – निरोग रहें” का संकल्प लिया गया और सभी प्रतिभागियों ने नियमित योग अभ्यास का प्रण लिया. इस मौके पर नालंदा के जिलाधिकारी कुंदन कुमार, एसपी भारत सोनी, डीडीसी श्रीकांत खांडेकर, नगर आयुक्त दीपक मिश्रा, अनुमंडल पदाधिकारी काजले वैभव नितिन, समेत बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी, स्थानीय नागरिक तथा जिले के कई विद्यालयों के छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे. सभी ने उत्साहपूर्वक योगाभ्यास किया.

सीमांचल में महिलाओं के लिए योग: मुद्रा फाउंडेशन की पहल

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सीमांचल में एकमात्र महिलाओं के लिए रजिस्टर्ड योग पीठ, मुद्रा फाउंडेशन की तरफ से भी रोजाना की तरह योग अभ्यास का आयोजन किया गया. इसकी खासियत यह है कि योग के माध्यम से कामकाजी महिलाओं के साथ-साथ घरेलू महिलाएं भी बढ़-चढ़कर रोजाना इस योग अभ्यास में भाग लेती हैं. घरेलू महिलाओं के लिए योग कितना ज़रूरी है और रोज़ाना योग से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कितना बदलाव आया है, यह देखना प्रेरणादायक है.

योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह तन, मन और आत्मा के सामंजस्य का विज्ञान है. जैसा कि आज के आयोजनों ने दिखाया, योग अब केवल भारत की विरासत नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, जो हमें स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर ले जा रहा है.

मुंगेर से मो. इम्तियाज खान, कटिहार से श्याम कुमार सिंह और नालंदा से राज पाण्डेय की रिपोर्ट