Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : बिहार में ‘चुनावी सियासत’ से टूट रही ‘बाहुबलियों’ की बेड़िया, खुल रहे जेल के दरवाजे, अबतक इतने ‘कुख्यात’ आये बाहर

Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : बिहार में ‘चुनावी सियासत’ से

PATNA : क्राइम, करप्शन और कम्युनलिजम से कभी समझौता नहीं करूँगा। इस वाक्य को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आये दिन सरकारी और चुनावी मंचों पर कहा करते थे। इस सिद्धांत को ही उन्होंने सुशासन का नाम दिया था। लेकिन नीतीश सरकार की उस वक्त खूब आलोचना की गयी। जब बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन 27 अप्रैल 2023 को तड़के साढ़े चार बजे जेल से रिहा होकर बाहर निकले। इसके ठीक एक साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ी और लोकसभा पहुँच गयी। वजह साफ़ थी की उन्हें जेल से बाहर निकालने के लिए बिहार सरकार ने जेल नियमावली में संशोधन किया था। जिसका लाभ एक दर्जन से अधिक सजा काट रहे कैदियों को मिला था। लेकिन सबसे अधिक चर्चा में आनंद मोहन की रिहाई ही रही। 

हालाँकि यह पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले भी और बाद में भी जब जब चुनावी बिसात बिछायी गयी। तब तब जेल के दरवाजे खुलते गए और ‘बाहुबलियों’ की बेड़ियाँ टूटती गयी। जेल में 17 साल गुजारने के बाद अशोक महतो दिसम्बर 2023 में रिहा हुए। जेल से रिहाई के बाद अशोक महतो ने अपनी सियासी जमीन की तलाश शुरू कर दी है। लेकिन सजायाफ्ता होने की वजह से वे चुनाव नहीं लड़ सकते थे। उधर राजद ने लोकसभा चुनाव टिकट में टिकट देने का मन बना लिया था। आनन फानन में अशोक महतो ने 62 साल की उम्र में अंतरजातीय विवाह किया। उनकी पत्नी अनीता देवी ने मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ी। लेकिन जदयू के ललन सिंह ने उन्हें शिकस्त दे दिया।     

दरअसल अशोक महतो के खिलाफ अखिलेश सिंह के गांव अपसढ़ में 11 लोगों के सामूहिक नरसंहार समेत कई मामले दर्ज थे। 23 दिसंबर 2001 को नवादा जेल ब्रेक कांड में वे सजायाफ्ता रहे हैं। तब संत्री की हत्या कर आठ लोग जेल ब्रेक कर फरार हो गए थे। यही नहीं, अशोक महतो के खिलाफ 21 सितंबर 2004 को शेखपुरा में प्रखंड विकास पदाधिकारी की हत्या, 9 सितंबर 2005 को कांग्रेस के जिला कार्यालय में कांग्रेस के दिग्गज नेता राजो सिंह की हत्या का मामला दर्ज हुआ था। 22 अगस्त 2012 को शेखपुरा के तत्कालीन विधायक रणधीर कुमार सोनी पर जानलेवा हमला का भी मामला दर्ज हुआ था। हालांकि अधिकांश मामले में वे रिहा हो चुके हैं।

इसी कड़ी में मोकामा के बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह, जिन्हें इलाके में छोटे सरकार के रूप में जाना जाता है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें जेल से रिहाई मिल सकती है। जेल से बाहर आते ही उन्होंने सीएम नीतीश की पार्टी जदयू से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। जबकि उनकी पत्नी नीलम देवी फ़िलहाल राजद की टिकट पर चुनाव जीतकर मोकामा से विधायक हैं। माना जाता है की विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह कई सीटों पर विपक्ष का खेल बिगाड़ सकते हैं। 

सबसे अंत में बारी आती है नवादा के रहनेवाले राजबल्लभ यादव की। जो अभी कुछ दिन से पहले ही जेल से रिहा होकर बाहर निकले हैं और नवादा के किसी सीट से उनके चुनाव लड़ने की पूरी संभावना हैं। कई सीटों पर राजबल्लभ यादव का प्रभाव भी माना जाता है। हालाँकि किस पार्टी से वे चुनाव लड़ेंगे। यह अभी तक तय नहीं है। लेकिन उनका झुकाव सत्ताधारी दल की ओर देखा जाता है। उधर चुनाव से पहले सांसद रह चुके प्रभुनाथ सिंह की रिहाई की मांग भी उठने लगी है। माना जाता है की प्रभुनाथ सिंह का भी सारण क्षेत्र में कई सीटों पर प्रभाव है।