Tej Pratap News:"क्या RJD में संविधान से ऊपर हैं 'भाई' वीरेंद्र? तेज प्रताप का सवाल-जयचंदों की साज़िश में फंसा मैं, अब देखना है पार्टी कितना न्यायप्रिय है!"
Tej Pratap News: तेज प्रताप यादव, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के ज्येष्ठ पुत्र, जिन्होंने कुछ समय पूर्व ही ‘अनुशासनहीनता’ के आरोप में पार्टी से निकाले जाने की कड़वी घूंट पी थी, अब सामने आकर सीधे राजद नेतृत्व से सवाल पूछ रहे हैं।

Tej Pratap News: बिहार की राजनीति में इन दिनों तूफ़ान गहराता जा रहा है। राष्ट्रीय जनता दलके वरिष्ठ विधायक भाई वीरेंद्र पर एक पंचायत सचिव ने अभद्र भाषा और धमकी देने का गम्भीर आरोप लगाया है। यह कोई साधारण आरोप नहीं, बल्कि SC-ST एक्ट के अंतर्गत दर्ज प्राथमिकी है, जिसमें स्पष्ट रूप से जातीय अपमान, धमकी और अनुशासनहीनता के तत्व उभर कर सामने आए हैं।तेज प्रताप ने अपने एक्स हैंडल पर एक कार्टून साझा किया, जिसमें बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को केंद्र में रखा गया है। इस तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा: "क्या RJD अपने विधायक भाई वीरेंद्र पर भी कार्रवाई करेगी, जिन्होंने बाबा साहब के आदर्शों को कुचलकर SC-ST समाज के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की? मुझे तो जयचंदों की साज़िश के तहत पार्टी से निकाल दिया गया… अब देखना है कि बवाल करने वालों पर भी पार्टी उतनी ही सख्ती दिखाएगी या नहीं? संविधान का सम्मान भाषणों में नहीं, आचरण में दिखना चाहिए।"
तेज प्रताप का यह बयान केवल एक टिप्पणी नहीं, बल्कि राजद नेतृत्व पर सीधा हमला है—एक ऐसा हमला जो बताता है कि दल के अंदरूनी अंतर्विरोध अब सार्वजनिक कलह का रूप ले चुके हैं। तेज प्रताप यादव ने जो 'जयचंदों की साज़िश' कहा, वह संकेत देता है कि पार्टी में उन्हें किस तरह किनारे किया गया, जबकि उनके अनुसार असली अनुशासनहीनता अब भी मौज़ूद है—भाई वीरेंद्र की शक्ल में।
सवाल उठता है कि क्या राजद अपने विधायक पर वैसी ही कार्रवाई करेगा जैसी तेज प्रताप पर की गई? क्या संवैधानिक मूल्यों के रक्षक कहे जाने वाले बाबा साहब के आदर्शों को यूं पैरों तले रौंदे जाने पर पार्टी की आत्मा जागेगी?पटना स्थित SC-ST थाना में दर्ज एफआईआर में गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस के अनुसार, पूरे मामले की जाँच जारी है, और सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो की वॉइस सैंपलिंग कराई जा सकती है।
राजद नेतृत्व, विशेष रूप से तेजस्वी यादव, जो स्वयं एक समय बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे, अब इस गंभीर मामले पर क्या रुख अपनाते हैं, यह देखना अहम होगा। क्या पार्टी इस मुद्दे को “सामान्य कहकर” टाल देगी या फिर संविधान के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय देकर आरोपी विधायक पर सख़्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी?
वहीं, राजद के राजनीतिक विरोधियों ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है। बीजेपी और जेडीयू के प्रवक्ताओं ने इसे राजद की “वोट बैंक राजनीति” का दोहरा चेहरा बताया है—जहां एक तरफ दलित-पिछड़ों के अधिकारों की बातें होती हैं, तो दूसरी तरफ़ उन्हीं वर्गों के प्रतिनिधियों को खुलेआम धमकी दी जाती है।
शिकायतकर्ता संदीप कुमार, मनेर क्षेत्र में पंचायत सचिव के पद पर कार्यरत हैं वही इलाका जहाँ से भाई वीरेंद्र विधायक हैं। उन्होंने बताया कि जब वह फ़ोन पर विधायक को नाम से नहीं पहचान सके, तो विधायक भड़क उठे और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी तक दे डाली। “तुम्हें जूतों से मारूंगा, तेरा हाल बुरा होगा” ऐसे शब्द एक जनप्रतिनिधि की जुबान से सुनाई दें, यह किसी लोकतंत्र के लिए शर्मनाक ही नहीं, बल्कि संविधान पर तमाचा है।
इस पूरे विवाद का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर बर्फ़ीले तूफ़ान की तरह फैल चुका है। ऑडियो में कथित तौर पर भाई वीरेंद्र एक मृतक के प्रमाण पत्र को लेकर पंचायत सचिव पर दबाव बनाते सुनाई दे रहे हैं, और फिर जवाब न मिलने पर आपा खो बैठते हैं।इस मामले ने राजनीतिक तापमान तब और बढ़ा दिया जब तेज प्रताप यादव, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के ज्येष्ठ पुत्र, जिन्होंने कुछ समय पूर्व ही ‘अनुशासनहीनता’ के आरोप में पार्टी से निकाले जाने की कड़वी घूंट पी थी, अब सामने आकर सीधे राजद नेतृत्व से सवाल पूछ रहे हैं।
बिहार की राजनीति में यह घटना एक सियासी भूकंप की तरह आई है। पंचायत सचिव के साथ हुई बदसलूकी, जातीय अपमान और धमकियों का यह मामला सिर्फ एक एफआईआर तक सीमित नहीं, बल्कि ये सवाल भी उठाता है क्या लोकतंत्र में विधायकों को 'राजा' समझा जाए या सेवक? और सबसे अहम सवाल, जिसे तेज प्रताप ने उठाया—क्या पार्टी के भीतर सभी के लिए समान आचरण के मानक हैं या फिर कोई ‘भाई’ नाम के विशेषाधिकार के साथ आता है?आगे देखना ये है कि राजद क्या बाबा साहेब के संविधान का सम्मान सिर्फ भाषणों में करेगी या आचरण में भी उतारेगी।