बिना नोटिफिकेशन 'मुख्यालय प्रभारी' बने जदयू नेता ने दिखाई धौंस, भड़के समर्पित नेताओं ने खोला मोर्चा
बिना आधिकारिक नियुक्ति के खुद को प्रभारी बताकर अनिल सिंह ने जारी किया फरमान, तो भड़के पुराने सिपाही। दागी अतीत वाले नेता को कमान देने पर कार्यकर्ताओं ने पूछा- वफादारों का क्या होगा? भाजपा से सीखने की दी नसीहत।"
Patna - मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू (JDU) के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के अंदर अनुशासन के नाम पर भारी 'अव्यवस्था' और 'मनमानापन' हावी हो चुका है। ताजा मामला अनिल सिंह से जुड़ा है, जिन्होंने पार्टी में वापसी तो की, लेकिन बिना किसी आधिकारिक 'नोटिफिकेशन' के ही खुद को 'मुख्यालय प्रभारी' मान बैठे। इतना ही नहीं, बिना नियुक्ति पत्र के ही उन्होंने पार्टी के जिला और प्रखंड अध्यक्षों को 'फरमान' भी जारी कर दिया। इस घटना ने पार्टी के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं के सब्र का बांध तोड़ दिया है। सोशल मीडिया से लेकर पार्टी कार्यालय तक बगावत के सुर तेज हो गए हैं।
बिना पावर के दिखाया 'पावर', नेताओं को पढ़ाया पाठ
गौरतलब है कि अनिल सिंह, जिन्हें कुछ दिन पहले ही पार्टी में वापस शामिल कराया गया था, ने खुद को मुख्यालय प्रभारी बताते हुए सभी जिलाध्यक्षों, प्रखंड अध्यक्षों और नगर अध्यक्षों को एक कड़ा पत्र लिख दिया।
पत्र में क्या है
उन्होंने सदस्यता अभियान पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जताई कि उन लोगों को रसीद क्यों दी जा रही है, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में एनडीए (NDA) का विरोध किया था या जो दूसरे दलों से जुड़े हैं।
विवाद की जड़
हैरानी की बात यह है कि जिस नेता की नियुक्ति का नेतृत्व ने अब तक कोईआधिकारिक पत्र (Notification) जारी नहीं किया, वे पार्टी के वरिष्ठ और जमीनी नेताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं।
"दागी को कमान, वफादार परेशान"
अनिल सिंह के इस पत्र ने आग में घी का काम किया है। पार्टी के पुराने और वफादार नेताओं ने सोशल मीडिया पर नेतृत्व की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है अनिल सिंह वही नेता हैं जिन्हें 2022 में अनुशासनहीनता के आरोप में पूर्व प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक के साथ पार्टी सेनिष्कासित (Expelled) किया गया था।
कार्यकर्ताओं का दर्द
जो लोग सालों से पार्टी के लिए खून-पसीना बहा रहे हैं, उन्हें दरकिनार कर एक 'निष्कासित' रह चुके नेता को सिर पर बैठाया जा रहा है। नेताओं का कहना है कि वफादारों की जगह 'पैराशूट लैंडिंग' वाले नेताओं को तरजीह दी जा रही है।
"बीजेपी से सीखे जदयू
विरोध के सुर इतने तीखे हैं कि जदयू कार्यकर्ताओं ने अपनी ही पार्टी को सहयोगीभाजपा (BJP) से सीखने की नसीहत दे डाली है। नाराज नेताओं का कहना है कि भाजपा अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाती है और उन्हें बड़े पदों पर बैठाती है, जबकि जदयू में वफादारों की अनदेखी कर दागियों को 'पावर' दी जा रही है।