Bihar Crime: जदयू का नेता या नेटवर्क माफिया? खाते में 7 करोड़, घर में सिमों की फैक्ट्री! EOU की छापेमारी से खुला ये राज
Bihar Crime: जदयू का एक नेता एक हाई-प्रोफाइल साइबर जालसाज के रूप में बेनक़ाब हुआ है. उसके घर से 7 करोड़ रुपया और 1500 सिम कारड बरामद हुए हैं......

Bihar Crime: परमानंदपुर पंचायत के गोसपुर गांव की उस धूप भरी दोपहर में जब 8 स्कॉर्पियो गाड़ियों में 30 से ज़्यादा अफसरों की टीम गांव की गलियों में उतरी, तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि गांव का वह युवक जो खुद को शेयर मार्केट का जादूगर बताता फिरता था और जदयू का नेता था एक हाई-प्रोफाइल साइबर जालसाज़ के रूप में बेनक़ाब होगा।
हर्षित मिश्र, 27 वर्षीय युवक, किसान परिवार से निकलकर बाजार और राजनीति दोनों में अपने ‘ब्रांड’ की छाया फैला चुका था। स्कॉर्पियो पर भाजपा का झंडा, दो बाउंसरों की सुरक्षा, और सरकारी बॉडीगार्ड की डिमांड यह सब गांव वालों को तब भी चौंकाता था, पर सब मानते रहे, “शेयर से कमाई करता है, पढ़ा-लिखा लड़का है।”
ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) पटना की टीम ने शनिवार दोपहर 2 बजे जो छापेमारी शुरू की, वह अगले 19 घंटे तक चलती रही। और जैसे-जैसे घर की दीवारें खुलती गईं, वैसा ही खुलता गया साइबर ठगी का एक बहुस्तरीय जाल — सैकड़ों सिम कार्ड, दर्जनों मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक डिवाइस, नोट गिनने की मशीन और वह डिजिटल दस्तावेज, जो 7 करोड़ की रकम वाले फ्रीज़ बैंक खाते से जुड़ा था।
गांव वालों के अनुसार, हर्षित ने पहले पिता से ज़मीन बिकवाकर शेयर ट्रेडिंग के नाम पर पैसे लिए। पर शायद शेयर नहीं, ‘डेटा, डिज़ाइन और धोखा’ उसका असली कारोबार था। पार्टी बदलना, बैनर बदलना, और फिर अचानक जदयू युवा मोर्चा का प्रदेश सचिव बन जाना सब जैसे एक योजना के तहत चल रहा था।
राजनीति की छाया और अपराध का नेटवर्क, जब एक युवा की महत्वाकांक्षा को ढक लेते हैं, तो गांव की मिट्टी से उठने वाला सपना एक दिन छापेमारी की स्कॉर्पियो में बैठा दिखता है।
गांव में अब सन्नाटा है, संवाद नहीं। एक बुजुर्ग की खामोश आवाज़ में एक सटीक वाक्य तैरता है कि "लड़का बदल गया थाचाल-ढाल भी, संगत भी। अब समझ में आया, वो किस दुनिया में जा रहा था।"हर्षित अब पटना ले जाया जा चुका है। काग़ज़ी तहकीकात और डिजिटल सबूतों के बीच एक और ‘नेटवर्कर नेता’ बेनकाब हो चुका है।