Caste census - देश में जातीय गणना कराने के मोदी सरकार के फैसले का जदयू ने किया स्वागत, कहा – वंचित तबकों के लिए नई उम्मीद

Caste census - जातीय गणना कराने के केंद्र सरकार के फैसले से जदयू ने अपनी खुशी जाहिर की है। पार्टी ने कहा कि इस फैसले वंचित तबकों को नई उम्मीद मिलेगी।

Caste census - देश में जातीय गणना कराने के मोदी सरकार के फैस

Patna - देश में जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने को लेकर आखिरकार मोदी सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। इस फैसले का जदयू ने स्वागत किया है। पार्टी के कार्यकारी संजय कुमार झा ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री को धन्यवाद दिया है। उन्होंने लिखा है कि इससे अब वंचित तबकों को नई उम्मीद मिली है। उन्होंने कहा कि 2011 में जो गणना कराए गए, वह सही नहीं थे, अब सही तरीके से गणना की जाएगी। इस दौरान उन्होंने बिहार में हुए जातीय गणना का भी जिक्र किया है।

संजय झा ने अपने एक्स पोस्ट पर लिखा है कि 

देशभर में आगामी जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने के ऐतिहासिक फैसले के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री @NarendraModi जी और गृह मंत्री @AmitShah जी का संपूर्ण जदयू परिवार की ओर से कोटिश: आभार एवं अभिनंदन। हमें विश्वास है, इस फैसले से वंचित तबकों के कल्याण एवं उत्थान के लिए और अधिक कारगर योजना बनाने में मदद मिलेगी। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार के माननीय मुख्यमंत्री @NitishKumar जी ने ‘न्याय के साथ विकास’ की अपनी नीति के अनुरूप, देश में सबसे पहले बिहार में पूरी पारदर्शिता के साथ जातीय गणना करा कर उसका परिणाम भी सार्वजनिक कर दिया है। 

उनका स्पष्ट मानना है कि सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करने और लक्षित तबकों के कल्याण के लिए सटीक योजना बनाने के उद्देश्य से विभिन्न जातियों का सटीक आंकड़ा होना जरूरी है। इतिहास गवाह है कि भारत में आजादी से पहले हुई जनगणना में जातिवार आंकड़े भी दर्ज किए गए थे। लेकिन, वर्ष 1951 में कांग्रेस की सरकार ने इसे बंद करवा दिया था। 

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सामाजिक रूप से वंचित तबकों की सटीक पहचान करने और उनके लिए अधिक कारगर योजना बनाने की राह में जातिगत आंकड़ों की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा बन रही थी। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक समूहों द्वारा की जा रही मांग के मद्देनजर यूपीए सरकार ने 2011 की जनगणना में जातियों का सर्वे कराने का फैसला किया, लेकिन, उन आंकड़ों में इतनी ज्यादा विसंगतियां थीं, कि उसे सार्वजनिक तक नहीं किया गया। 

अब NDA सरकार द्वारा पूरे देश में सटीक जातीय गणना कराने का ऐतिहासिक फैसला वंचित तबकों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जिसके सुखद परिणाम आनेवाले वर्षों में दिखेंगे। इससे पहले सामान्य वर्ग के गरीबों को संविधान संशोधन के जरिये 10% आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला भी NDA सरकार ने ही किया था, जिसकी कांग्रेस सरकारों द्वारा लगातार उपेक्षा की गई थी।