Bihar vidhansabha chunav 2025: पटना के गांधी मैदान में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर की तरफ से आयोजित दलित समागम को पार्टी के संरक्षक सह केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी जी ने संबोधित किया। जीतन राम मांझी ने अपने संबोधन की शुरुआत माउंटेन मैन दशरथ मांझी को भारत रत्न दिए जाने की मांग के साथ की। उन्होंने एकजुटता के लिए दलित समागम में आए सभी लोगों का आह्वान किया। जीतन राम मांझी ने दलित समागम को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आज अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से आने वाले लोगों की तादाद 30 फ़ीसदी से ज्यादा है और इसके बावजूद सत्ता किसके हाथों में है यह सभी को मालूम है।
मांझी ने कहा कि, बाबा साहब ने हमें यह मंत्र दिया था कि एक झुकता के साथ हम शासन में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित कर सकते हैं और शासन में हिस्सेदारी हासिल किए बगैर विकास को पाना मुमकिन नहीं है। ऐसा लगता है कि मौजूदा वक्त में हम अलग-अलग जातियों में विभाजित हो गए हैं और इसी कारण कटोरा लेकर घूम रहे हैं लेकिन हमें वाजिब हक नहीं मिल रहा। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए की 2025 के विधानसभा चुनाव में हम लोग एकजुट रहें और यह सुनिश्चित करें कि बिहार में दलितों के हितों की सोच रखने वाली सरकार बने।
जीतन राम मांझी जी ने दलितों को मिलने वाले आरक्षण की प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि आज यह जरूरी हो गया है कि अनुसूचित जाति में आने वाले अलग-अलग जातियों को शिक्षा के आधार पर वर्गीकरण कर उन्हें आरक्षण दिया जाए। साक्षरता का जो प्रतिशत जिस अनुसूचित जाति की उपजातियों में हो उसी के आधार पर आरक्षण लागू किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में अपनी टिप्पणी दी है। मैंने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से भी इस संबंध में निर्णय लेने का आग्रह किया हुआ है।
मांझी ने केंद्र सरकार और अन्य राज्यों की तर्ज पर बिहार में भी सफाई कर्मचारी आयोग के गठन की मांग की है। उन्होंने बिहार में दलित छात्राओं को मिलने वाली राशि को बढ़ाए जाने के साथ-साथ महिलाओं के लिए व्यावसायिक शिक्षा को बिहार सरकार की तरफ से मुक्त किए जाने की मांग भी दलित समागम के मंच से रखी। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार में भूमि सर्वेक्षण के कार्य को जल्द से जल्द पूरा कराया जाने की आवश्यकता बताते हुए कहा की बिहार में अभी भी भूमिहीनों की संख्या बहुत ज्यादा है। मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए पांच डिसमिल जमीन भूमिहीनों को दिए जाने का फैसला किया था लेकिन आज भी बिहार में कुछ जगहों को छोड़ दें तो बाकी सभी जगह पर भूमिहीनों को तीन डिसमिल जमीन ही दी जा रही है। अगर भूमि संपुष्टि का काम पूरा हो जाता है तो भूमिहीनों को कई एकड़ जमीन मिल सकती है। केंद्रीय मंत्री ने दलित समागम में आए युवाओं से आह्वान किया कि वह अब अलग-अलग उपजातियां में बैठने की बजाय एकजुटता के साथ आगे बढ़ें। समाज कैसे साक्षर बने और कैसे विकास के रास्ते पर आगे बढ़े इसमें नौजवानों की बड़ी भूमिका होगी। मांझी ने कहा कि शिक्षा शेरनी की दूध की तरह है जो इसका सेवन करेगा वह मजबूत बनेगा।