Bihar Politics:‘990 रुपये खा जाते हैं’, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का अपनी ही सरकार पर सनसनीखेज हमला, बिहार में ‘एस्टीमेट घोटाले’ का आरोप, ₹10 का काम ₹1000 में!

Bihar Politics: जीतन राम मांझी ने बिहार की NDA सरकार पर ‘एस्टीमेट घोटाले’ का गंभीर आरोप लगाकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।

जीतन राम मांझी
मांझी का अपनी ही सरकार पर सनसनीखेज हमला- फोटो : Reporter

Bihar Politics: केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतन राम मांझी ने बिहार की NDA सरकार पर ‘एस्टीमेट घोटाले’ का गंभीर आरोप लगाकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। एक कार्यक्रम में मांझी ने कहा कि बिहार में ₹10 का एस्टीमेट ₹1000 का बनाया जाता है, और उसमें भी काम पूरा नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि ₹10 के काम में भी बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है, और बाकी ₹990 का तो कोई हिसाब ही नहीं। मांझी ने सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की और बचे हुए पैसे को बच्चों के कल्याणकारी कार्यक्रमों में लगाने का सुझाव दिया। यह बयान इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि मांझी की पार्टी HAM, NDA का हिस्सा है, और उनके बेटे संतोष सुमन नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।

भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार

जीतन राम मांझी ने कार्यक्रम में कहा, “आज ₹10 का एस्टीमेट ₹1000 का बनता है, और उसका भी काम नहीं होता। जो ₹10 का एस्टीमेट है, उसमें भी खाने वाला खा जाता है, और ₹990 का तो बात ही छोड़ दीजिए।” उन्होंने आगे कहा, “एस्टीमेट में गड़बड़ी हो रही है। हम सरकार से कहते हैं कि इस मामले में कार्रवाई करें। जो पैसा बचता है, उससे बच्चों के लिए कार्यक्रम बनाएं।” मांझी का यह बयान बिहार में ग्रामीण कार्य विभाग, सड़क निर्माण, और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जहां प्रोजेक्ट की लागत को कथित रूप से कई गुना बढ़ाकर दिखाया जाता है।

सियासी भूचाल: अपनी ही सरकार पर हमला

मांझी का यह बयान बिहार की डबल इंजन सरकार (केंद्र और राज्य में NDA) के लिए असहज स्थिति पैदा करता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार में HAM एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, और मांझी के बेटे संतोष सुमन अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण मंत्री हैं। ऐसे में मांझी का अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना NDA के भीतर दरार की ओर इशारा करता है। यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी हलचल को और तेज कर सकता है, क्योंकि विपक्षी महागठबंधन इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगा।

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पहले भी उठा चुके हैं भ्रष्टाचार का मुद्दा

यह पहली बार नहीं है जब मांझी ने भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाए हैं। 29 जून 2024 को मांझी ने बिहार में पुल ढहने की घटनाओं को ‘साजिश’ करार दिया था और ठेकेदारों द्वारा घटिया सामग्री के इस्तेमाल को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था, “यह ठेकेदारों की घटिया सामग्री के कारण हो रहा है। राज्य सरकार ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।” उस समय मांझी ने 9 दिनों में 5 पुल ढहने की घटनाओं को लेकर नीतीश सरकार को बदनाम करने की साजिश का भी जिक्र किया था, लेकिन अब उनका ताजा बयान सीधे तौर पर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।

विपक्ष को मिला हथियार

मांझी के इस बयान ने RJD और महागठबंधन को सरकार पर हमला करने का नया मौका दे दिया है। RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने पहले भी मांझी को NDA छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर दिया था, जब मांझी ने 40 सीटों की मांग करके NDA में हलचल मचाई थी। अब इस बयान के बाद RJD इसे NDA के भीतर भ्रष्टाचार और अंदरूनी कलह के सबूत के रूप में पेश कर सकती है। तेजस्वी यादव ने पहले भी नीतीश सरकार पर पुल ढहने और भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधा था, और अब मांझी का बयान उनके लिए सियासी हथियार बन सकता है।

मांझी की सियासी रणनीति: EBC और दलित वोटरों पर नजर

मांझी का यह बयान उनकी सियासी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। EBC और दलित समुदाय, खासकर मांझी और भुइयां जातियां, बिहार में HAM का प्रमुख वोट बैंक हैं। 22 जनवरी 2025 को मांझी ने 40 सीटों की मांग करके NDA में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी। अब भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर मांझी जनता के बीच अपनी छवि को एक निष्पक्ष और जनहितैषी नेता के रूप में मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। साथ ही, यह बयान NDA के भीतर सीट बंटवारे और HAM की हिस्सेदारी को लेकर दबाव बनाने का भी प्रयास हो सकता है।

NDA में असहजता, नीतीश पर दबाव

मांझी के बयान ने NDA के भीतर असहजता पैदा कर दी है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने पहले मांझी की मांगों का बचाव करते हुए कहा था कि पीएम मोदी और नीतीश कुमार ने मांझी को सम्मान दिया है। लेकिन अब इस बयान ने नीतीश सरकार की सुशासन की छवि पर सवाल खड़े किए हैं। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा जैसे नेताओं को इस मामले में मांझी के बयान पर सफाई देनी पड़ सकती है। साथ ही, 28 अप्रैल 2025 को मांझी की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात को अब नए सिरे से देखा जा रहा है, क्योंकि उस समय सीट बंटवारे पर चर्चा हुई थी।

भ्रष्टाचार के पुराने आरोप

बिहार में भ्रष्टाचार और एस्टीमेट घोटाले के आरोप कोई नई बात नहीं हैं। 26 अक्टूबर 2023 को मांझी ने BPSC शिक्षक नियुक्ति घोटाले में ED की जांच की मांग की थी, जिसमें उन्होंने जॉब फॉर मनी स्कैंडल का जिक्र किया था। इसके अलावा, 2024 में पुल ढहने की घटनाओं को लेकर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिन्हें तेजस्वी यादव ने ‘डबल इंजन सरकार की नाकामी’ करार दिया था। मांझी का ताजा बयान इन पुराने आरोपों को और हवा देता है।

मांझी के बेटे संतोष सुमन, जो नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। संतोष की पत्नी दीपा मांझी को इमामगंज उपचुनाव 2024 में HAM ने टिकट दिया था, जिसके लिए मांझी ने खुलकर प्रचार किया था।

रिपोर्ट- अभिजीत सिंह