Bihar SIR: कपिल सिब्बल का बड़ा आरोप! बिहार वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और संविधान संशोधन विधेयक पर केंद्र सरकार को घेरा

Bihar SIR: पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने बिहार में वोटर लिस्ट गड़बड़ी पर चुनाव आयोग और सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने संविधान संशोधन विधेयक 2025 को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और केंद्र पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया।

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कपिल सिब्बल ने लगाया बड़ा आरोप!- फोटो : SOCIAL MEDIA

Bihar SIR: पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लाखों मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं और नए नाम जोड़े नहीं जा रहे, यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।

सिब्बल ने दावा किया कि ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) और BDO के दबाव में बिना दस्तावेज़ों के फॉर्म भरे और अपलोड किए जा रहे हैं।इससे वोटर लिस्ट दीमक की तरह खोखली हो रही है।अगर वोटर लिस्ट सही नहीं होगी, तो चुनाव कैसे सही होंगे? उन्होंने साफ कहा कि वोटर लिस्ट लोकतंत्र की बुनियाद है, और इसमें गड़बड़ी लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर कर सकती है।

संविधान संशोधन विधेयक पर सवाल

कपिल सिब्बल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पर भी निशाना साधा। इस विधेयक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गंभीर आपराधिक मामलों में जेल में बंद मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और सांसदों को पद से हटाया जा सके।

सिब्बल का तर्क

सरकार के पास इसे पारित कराने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं है।संशोधन विधेयक के लिए 363 वोटों की जरूरत है, जबकि एनडीए के पास केवल 293 वोट हैं।सरकार कभी इस विधेयक को पास नहीं करा पाएगी।

सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग का आरोप

सिब्बल ने कहा कि इस तरह के विधेयक का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है।उन्होंने अरविंद केजरीवाल, सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और हेमंत सोरेन का उदाहरण दिया, जिन्हें लंबी अवधि तक जेल में रखा गया।एफआईआर दर्ज होते ही सीबीआई या ईडी कार्रवाई करती है और जमानत मिलने में महीनों लग जाते हैं।”

संविधान को कमजोर करने का आरोप

कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि 2014 से ऐसे कई विधेयक लाए जा रहे हैं जिनका उद्देश्य नागरिकों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना है।ये विधेयक संविधान को दीमक की तरह कमजोर कर रहे हैं और लोकतंत्र की संरचना को खोखला बना रहे हैं।”

लोकतंत्र पर मंडराता खतरा?

सिब्बल का कहना है कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और संवैधानिक संशोधन जैसे कदम लोकतंत्र के भविष्य के लिए गंभीर खतरा हैं।वोटर लिस्ट में त्रुटियाँ चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं।वहीं, संवैधानिक संशोधन विधेयक सरकार के इरादों पर संदेह पैदा करता है।