Land For Job Case: लैंड फ़ॉर जॉब केस में लालू परिवार को बड़ी राहत, अदालत ने फिर टाली आरोप तय करने की सुनवाई, अब 15 दिसंबर को अगला फ़ैसला
Land For Job Case: दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत में चर्चित ‘लैंड फ़ॉर जॉब’ घोटाले की अहम सुनवाई हुई, जहाँ राजद प्रमुख और पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य आरोपियों को पाँच दिनों की बड़ी राहत मिल गई।
Land For Job Case: दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत में चर्चित ‘लैंड फ़ॉर जॉब’ घोटाले की अहम सुनवाई हुई, जहाँ राजद प्रमुख और पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य आरोपियों को पाँच दिनों की बड़ी राहत मिल गई। अदालत ने आरोप तय करने पर अपना आदेश एक बार फिर आगे बढ़ा दिया है। अब इस बहुचर्चित मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
विशेष सीबीआई जज विशाल गोगने की अदालत में सीबीआई ने बताया कि केस में कुल 103 आरोपी शामिल हैं, जिनमें से चार की मृत्यु हो चुकी है। एजेंसी ने अदालत को अवगत कराया कि सभी आरोपियों से संबंधित दस्तावेज़ों की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पाई है, इसलिए चार्ज फ्रेमिंग पर निर्णय टालना आवश्यक है। अदालत ने सीबीआई की दलील मानते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।
इससे पहले 8 दिसंबर की सुनवाई में भी सीबीआई ने सभी आरोपियों की स्थिति, उपस्थिति और केस दस्तावेज़ों की पुष्टि के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। न्यायाधीश ने पिछले आदेश में सीबीआई को स्पष्ट निर्देश दिया था कि वह सभी आरोपियों से संबंधित अपडेटेड रिपोर्ट उपलब्ध कराए, ताकि यह तय किया जा सके कि चार्ज फ्रेम करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं या नहीं।
बता दें कि सीबीआई ने इस कुख्यात घोटाले में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित कई लोगों के खिलाफ विस्तृत आरोपपत्र दाखिल किया था। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते हुए—2004 से 2009 के बीच भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र (जबलपुर) में ग्रुप-डी की अवैध नियुक्तियाँ की गईं। बदले में, जिन उम्मीदवारों को नौकरी मिली, उन्होंने लालू परिवार और उनके सहयोगियों के नाम पर जमीनें उपहार के तौर पर हस्तांतरित कीं। यही कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाले का मूल आरोप है।
लगातार टल रही सुनवाई और बढ़ती कानूनी कार्यवाही ने इस केस को और जटिल बना दिया है। अदालत द्वारा तिथि आगे बढ़ाए जाने के बाद लालू परिवार को फिलहाल अस्थायी राहत तो मिल गई है, लेकिन अगली सुनवाई पर पूरे देश की निगाहें टिकी रहेंगी कि क्या इस बार आरोप तय करने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है या एक बार फिर मामला लटक जाता है।