Lalu Yadav Birthday: 11 जून को नहीं हुआ था लालू यादव का जन्म, राजद सुप्रीमो की माँ को नहीं पता क्या है जन्म की तारीख, जानिए क्यों मनाते हैं इस दिन जन्मदिन

Lalu Yadav Birthday: राजद सुप्रीमो लालू यादव बुधवार को अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके जन्मदिन को लेकर लालू परिवार के साथ ही राजद की ओर से भी कई आयोजन किए जा रहे हैं. गांव-जवार का जीवन जीने के लिए जाने जाने वाले लालू यादव का बचपन गरीबी और संघर्ष में बीता. लेकिन सियासी सफर में ऐसी सफलता मिली कि उनके इर्द-गिर्द ही बिहार की सियासत वर्ष 1990 से केंद्रित है. लेकिन सियासी सफलता के पहले भी लालू के जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से हैं. इसमें सबसे अहम तो लालू यादव के जन्म की तारीख को लेकर ही है. यहां तक कि लालू यादव की माँ मरछिया देवी देवी भी अपने बेटे के जन्मदिन की तारीख को लेकर लालू को रोचक जवाब दे चुकी थी.
स्कूली प्रमाण पत्र के अनुसार लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 को हुआ था. लेकिन उनके जन्मदिन की तारीख 11 जून कैसे तय हुई इसे लेकर लालू यादव की आत्मकथा 'गोपालगंज से रायसीना, मेरी राजनीतिक यात्रा' में अपने जन्म से जुड़ी कई बातें शेयर की हैं. किताब के अनुसार, मेरे स्कूल के प्रमाण पत्र में ये 11 जून, 1948 दर्ज है. इसी दिन मैं अपने जन्मदिन की बधाई स्वीकार करता हूं. मुझे नहीं पता कि रिकॉर्ड में ये कैसे दर्ज हुआ क्योंकि मेरी मां को इसकी धुंधली सी याद भर थी. हम छह भाई और हमारी एक बहन उन्हें हम माई कहते थे. एक बार जब मैंने जोर देकर जानना चाहा कि आखिर मैं पैदा कब हुआ था, तो वह नाराज हो गई थीं. बेरुखी से उन्होंने कहा था कि इससे क्या फर्क पड़ता है?
गलत है जन्म तारीख
लालू बताते हैं कि जब मैंने जिद की-यह तब की बात है, जब मैं हाई स्कूल में पढ़ रहा था- मां कुछ मायूस हो गईं. वह बोलीं-'हमरा नइखे याद, तू अन्हरिया में जन्मला की अंजोरिया में'. लालू ने अपनी आत्मकथा में मां के बारे में बताते हुए कहते हैं किअपनी पीढ़ी के अन्य लोगों की तरह वो महीनों को हिंदू कैलेंडर के हिसाब से याद रखती थीं. चैत, बैसाख, जेठ, आसाढ़, सावन और भादो इत्यादि. मैंने फिर कभी अपना जन्मदिन और तारीख जानने की कोशिश नहीं की. मैं ये मानता रहा कि ये तारीख( 11 जून, 1948) गलत है.
फुलवरिया में हुआ जन्म
लालू यादव ने अपनी आत्मकथा में आगे कहा है कि माई ने मुझे खुश करने के लिए धगरिन(दाई) को बुलाया. मेरे पैदा होने के समय जिसने मदद की थी. हालांकि, तारीख को लेकर अपनी माई से हुए तर्क को लालू यादव ने यही विराम दे दिया है. उसके बाद वे आगे कहते हैं कि मेरा जन्म गांव फुलवरिया में हुआ. मैं वहीं बड़ा हुआ. उस समय फुलवरिया सारण जिले में था. अब गोपालगंज में है.
पहनने को ठीक कपड़े तक नहीं
लालू ने अपनी आत्मकथा में अपने बचपन की गरीबी को याद किया है. वे बताते हैं कि जब वे कुछ बड़े हुए तो खुद को भगई में पाया। ये एक तरह का लंगोट की तरह छोटा कपड़ा होता है. जिससे कमर के निचले भाग और टांगों के बीच लपेट दिया जाता था. सर्दियों में माई आंगन में कंडे, गन्ने के सूखे पत्तों और फूस में आग जलाकर हम सबको साथ लेकर उसके चारों तरफ बैठ जाती थी. धान के पुआल से हमारे लिए बिस्तर बनाया जाता था. जूट के बोरे में पुआल भरकर कंबल बनाया जाता था. रात में मैं अपनी भगई को गिला कर देता था और रोने लगता था. माई मुझे अलाव के पास लेकर तब तक बैठी रहती, जब तक मैं कुछ गरम नहीं हो जाता. उसके बाद मुझे कंबल और धान के पुआल के बीच रख देती या कोशिश करती थी कि किसी तरह मुझे आराम मिले. घर में इतने कपड़े नहीं थे कि मेरे लिए और मेरे भाइयों और बहनों के लिए भगई के दो जोड़े बनाए जाएं.
रंजन की रिपोर्ट