Bihar land registry - जमीन खरीदने का सपना देख रहे हैं? सावधान हो जाएं, नए साल में आपकी जेब पर लगने वाला है बहुत बड़ा झटका!

Bihar land registry - जमीन खरीदने के लिए सोच रहे हैं तो इस महीने ही कर लें, क्योंकि अगले साल से जमीन खरीदने के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।

Bihar land registry - जमीन खरीदने का सपना देख रहे हैं? सावधा

Patna - अपना घर बनाने या जमीन खरीदने का सपना संजो रहे हैं, या किसी सौदे को लेकर अंतिम बातचीत के दौर में हैं, तो यह खबर आपके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। आपके पास बहुत कम समय बचा है। नए साल का सूरज उगने से पहले ही आपकी जेब पर एक ऐसा बोझ पड़ने वाला है, जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी। अगर आप अपनी गाढ़ी कमाई के लाखों रुपये बचाना चाहते हैं, तो आपके पास अब सोचने का वक्त नहीं है, बल्कि तुरंत कदम उठाने का समय है।

तीन गुना बढ़ेगी जमीन रजिस्ट्री शुल्क


बिहार में नए साल की शुरुआत के साथ ही जमीन खरीदारों को तगड़ा झटका दे सकती है। खबर है कि जमीन की रजिस्ट्री का शुल्क अब थोड़ा-बहुत नहीं, बल्कि सीधे ढाई से तीन गुना तक बढ़ने वाला है। यह बढ़ोतरी इतनी बड़ी होगी कि इसका सीधा असर जमीन और मकान की कुल कीमत पर पड़ेगा। मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने बेहद खामोशी से राज्य के सभी जिला अवर निबंधकों को इस बाबत निर्देश जारी कर दिए हैं, जिसके बाद से प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।

सर्किल रेट का नए सिरे से पुनरीक्षण

एमवीआर का पुनरीक्षण आखिर अचानक इतना बड़ा बदलाव क्यों? दरअसल, सरकार मार्केट वैल्यू रेट (एमवीआर) यानी जमीन की न्यूनतम मूल्यांकन दर (सर्किल रेट) का बहुत बड़े पैमाने पर पुनरीक्षण करने जा रही है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो जमीन की सरकारी कीमत तय करती है। इसके लिए जिला मूल्यांकन समितियों को जल्द से जल्द गुप्त बैठकें कर आवश्यक कार्रवाई शुरू करने की कवायद तेज कर दी गई है। यही वह फैसला है जो आपकी जेब ढीली करने वाला है।

विकास बनेगा जेब पर बोझ

इस बार जमीन की कीमतों का निर्धारण नए और सख्त पैमानों पर होगा। विभाग के निर्देशों के अनुसार, शहरी और ग्रामीण इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में हुए विकास को आधार बनाया जाएगा। अगर आपकी नजर जिस जमीन पर है, उसके आसपास नई सड़कें, बाजार या अन्य मूलभूत सुविधाएं विकसित हुई हैं, तो तैयार हो जाइए—उसकी सरकारी कीमत आसमान छूने वाली है। इसके लिए पंचायत स्तर से लेकर अंचल स्तर तक कमेटियां गठित कर रिपोर्ट मांगी जा रही है, जिनकी सत्यता की जांच सीओ करेंगे।

पुरानी दरों का अंत  

इस भारी-भरकम बढ़ोतरी का कारण यह है कि वर्तमान में जमीन की रजिस्ट्री बरसों पुरानी दरों पर हो रही है। शहरी क्षेत्रों में साल 2016 और ग्रामीण क्षेत्रों में तो साल 2013 के मूल्यांकन के आधार पर ही काम चल रहा है। 

वास्तविक बाजार भाव

अब सरकार मूल्यांकन को 'वास्तविक बाजार भाव' के बराबर लाने की तैयारी में है। पुरानी और नई दरों के बीच का यह विशाल अंतर ही रजिस्ट्री शुल्क में भारी बढ़ोतरी का कारण बनेगा। इसलिए, अतिरिक्त शुल्क के इस आसन्न खतरे से बचने के लिए शेष बचे कुछ दिनों में ही अपना कार्य पूर्ण कर लेना समझदारी होगी।