Patna news - महावीर वात्सल्य अस्पताल को नाभ की मान्यता, आचार्य किशोर कुणाल का सपना हुआ पूरा
Patna news - स्व. किशोर कुणाल का एक सपना आज पूरा हो गया। नाभ ने महावी वात्सल्य अस्पताल को मान्यता दे दी है। अस्पताल के निदेशक ने बताया आचार्य के निधन से एक दिन पहले नाभ की टीम ने निरीक्षण किया था। बता दें इसी अस्पताल में आचार्य का निधन हुआ था।

Patna -महावीर मन्दिर न्यास द्वारा संचालित महावीर वात्सल्य अस्पताल को नाभ यानी एनएबीएच की मान्यता मिल गयी है। स्वास्थ्य प्रक्षेत्र में नाभ की मान्यता को बहुत प्रतिष्ठित माना जाता है। महावीर वात्सल्य अस्पताल के निदेशक डॉ राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि आज सोमवार को ही नाभ की ओर से ई मेल द्वारा मान्यता की आधिकारिक सूचना दी गयी है। जल्द ही नाभ के साथ अनुबंध की औपचारिक कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
महावीर वात्सल्य की बढ़ी प्रतिष्ठा
डॉ राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि महावीर वात्सल्य अस्पताल नाभ की मान्यता पाने वाला उत्तर भारत का पहला चैरिटेबल अस्पताल है। निदेशक ने बताया कि नाभ की मान्यता मिल जाने से चिकित्सा जगत में महावीर वात्सल्य अस्पताल की प्रतिष्ठा और बढ़ गयी है।
आचार्य का सपना हुआ पूरा
महावीर वात्सल्य अस्पताल के शासी निकाय के अध्यक्ष जस्टिस पी के सिन्हा ने नाभ की मान्यता के लिए महावीर वात्सल्य अस्पताल के चिकित्सकों और पूरी टीम को बधाई दी है। जस्टिस पी के सिन्हा ने बताया कि महावीर वात्सल्य अस्पताल को नाभ की मान्यता मिले, यह आचार्य किशोर कुणाल का सपना था। आज उनका यह सपना पूरा हो गया।
बताते चलें कि नाभ की मान्यता अस्पताल में चिकित्सा की सुविधाएं, मरीजों की देखभाल, स्वच्छता, सुरक्षा, चिकित्सकों और चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता आदि मानकों पर खरा उतरने के बाद दी जाती है।
आचार्य किशोर कुणाल के निधन से एक दिन पूर्व आयी थी नाभ की टीम...
इसे एक इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि नाभ की टीम ने पिछले साल 28 दिसंबर को महावीर वात्सल्य अस्पताल का निरीक्षण किया था। उसके ठीक अगले दिन 29 दिसंबर की सुबह आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया। महावीर मन्दिर के जरिए धर्म को परोपकार से जोड़कर 9 चैरिटेबल अस्पतालों की स्थापना करने वाले आचार्य किशोर कुणाल ने इसी महावीर वात्सल्य अस्पताल में अंतिम सांस ली।
वर्ष 2006 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों उद्घाटन के बाद से आचार्य किशोर कुणाल पटना के एलसीटी घाट स्थित महावीर वात्सल्य अस्पताल नियमित रूप से आते थे। गोशाला रोड स्थित अपने निवास से नजदीक होने के कारण विराट रामायण मन्दिर और अन्य महत्वपूर्ण बैठकें भी यहीं करते थे। आचार्य किशोर कुणाल महावीर वात्सल्य अस्पताल के स्थापना काल से ही इसके शासी निकाय के भी सचिव थे।
महावीर वात्सल्य अस्पताल में पेडिएट्रिक यानी शिशु रोग विभाग के अतिरिक्त स्त्री एवं प्रसव रोग विभाग, मेडिसिन विभाग, हृदय रोग विभाग समेत कई विभाग हैं। 200 बेड का महावीर वात्सल्य अस्पताल बच्चों के इलाज के लिए उत्तर एवं पूर्वी भारत का प्रमुख अस्पताल माना जाता है। डॉ राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि महावीर वात्सल्य अस्पताल में फेलोशिप और डीएनबी दोनों की पढ़ाई हो रही है। नाभ की मान्यता के बाद अस्पताल ने चिकित्सा जगत में और एक कदम बढ़ाया है।