Bihar Assembly session: हाउस में हल्की तकरार, नीतीश-RJD सदस्यों की नोकझोंक,कहा- “आप गड़बड़ किए तब न हटे” सीएम ने नए बिहार का मॉडल किया पेश

Bihar Assembly session: बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संबोधन सिर्फ़ सरकारी रिपोर्ट नहीं, बल्कि विकास, सुधार और सामाजिक सौहार्द का विस्तृत बयान था।

Bihar Assembly session: हाउस में हल्की तकरार, नीतीश-RJD सदस्
नीतीश-RJD सदस्यों की नोकझोंक,कहा- “आप गड़बड़ किए तब न हटे”- फोटो : social Media

Bihar Assembly session: बिहार विधानसभा के चौथे दिन की कार्यवाही में ऐसा माहौल बना, जिसने पूरे सदन को कुछ क्षणों के लिए हैरत में डाल दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद विधायक भाई वीरेंद्र के बीच अचानक तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई, और सदन का स्वर सियासी तंज़, तल्ख़ी और तुक़बंदी में बदल गया।यह वाकया तब हुआ जब सीएम नीतीश धन्यवाद प्रस्ताव समाप्त कर सर्वसम्मति से पारित करने की अपील कर रहे थे। सत्ता पक्ष के सदस्य ज़ोरदार समर्थन दे रहे थे, लेकिन विपक्ष शांत बैठा था। इस खामोशी पर नीतीश कुमार भड़क गए और थोड़ा ऊँचे स्वर में कहा कि “आप लोग काहे नहीं कर रहे हैं? ये सब लोग कर रहे हैं… आप लोग काहे नहीं? अरे भाई, सबके लिए फ़ायदा है!”नीतीश की यह टिप्पणी विपक्ष की बेंच पर बैठकर सुन रहे भाई वीरेंद्र को खटक गई और उन्होंने बीच में कुछ कहा। बस, यहीं से सदन का पारा चढ़ गया। नीतीश ने सीधे उनकी ओर देखते हुए कहा कि “आपको भी तो थोड़ा-थोड़ा दो बार रखते थे… कितना काम किए थे! आप तो सब बातवा मेरा मान लेते थे। बाद में गड़बड़ किए त—हम छोड़ दिए। अब तो कभी नहीं जाएंगे, मेरा पहले का है, वहीं रहेंगे!”

इतना ही नहीं, सीएम ने आगे कहा कि “हमने आपके लिए क्या-क्या नहीं किया है! इतना जो काम हुआ है, याद रखिए। हाथ उठा कर बताइए, सब समर्थन कर रहे हैं ना?”सदन में कुछ क्षण के लिए हलचल मच गई सत्ता पक्ष तालियाँ बजाने लगा और विपक्ष अपनी सीटों पर उबलता नजर आया।इस नोकझोंक ने एक बात साफ कर दी नीतीश का सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह राजनीतिक तेवर पहले से कहीं अधिक मुखर हो चुका है। भाई वीरेंद्र के साथ उनका यह टकराव सिर्फ़ व्यक्तिगत तंज़ नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक संदेश की ओर भी इशारा करता है कि अब नीतीश किसी भी आलोचना पर सीधा जवाब देने की मुद्रा में हैं।

बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संबोधन सिर्फ़ सरकारी रिपोर्ट नहीं, बल्कि विकास, सुधार और सामाजिक सौहार्द का विस्तृत बयान था। उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और शांतिपूर्ण माहौल की उपलब्धियाँ गिनाईं और कहा कि आज बिहार एक नए अध्याय की ओर बढ़ चुका है।नीतीश ने बताया कि राज्य में अब कुल सरकारी शिक्षकों की संख्या 5 लाख 20 हज़ार पहुँच गई है जो शिक्षा के विस्तार की बड़ी मिसाल है। उन्होंने कहा कि पहले बिहार की शिक्षा व्यवस्था कमजोर थी, लेकिन बड़ी संख्या में नए स्कूल खोले गए, बहालियाँ हुईं और लड़के-लड़कियों दोनों के लिए पोशाक योजना चलाई गई ताकि कोई बच्चा पढ़ाई से बाहर न रह जाए।

मुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से 2 लाख 58 हज़ार शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। नियोजित शिक्षकों के लिए सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए कहा कि बीपीएससी की मुख्य परीक्षा देने की ज़रूरत नहीं होगी, बल्कि एक सरल प्रक्रिया से उन्हें सरकारी शिक्षक बनाया जाएगा।अब तक तीन परीक्षाएँ हो चुकी हैं, जिनमें 62 हज़ार शिक्षक सफल हुए हैं, जबकि 77 हज़ार उम्मीदवार बचे हुए हैं। यह प्रक्रिया शिक्षकों को सम्मान और स्थिरता देने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर नीतीश ने कहा कि पहले पीएचसी में हर महीने सिर्फ़ 29 मरीज आते थे। लोगों का भरोसा कम था और सुविधाएँ कमजोर। लेकिन 2006 से मुफ्त दवा और इलाज की व्यवस्था लागू होने के बाद, स्वास्थ्य सेवाओं में जबरदस्त बदलाव आया और आज हर दिन 11,600 मरीज पीएचसी में इलाज करा रहे हैं यानी भरोसा कई गुना बढ़ गया है।

सद्भाव के मुद्दे पर नीतीश ने याद दिलाया कि पहले हिंदू-मुस्लिम तनाव आम था। इसी वजह से 2006 से कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू की गई। इसके बाद कई क्षेत्रों में मंदिरों की घेराबंदी भी की गई, जिससे चोरी और विवाद की घटनाएँ रुक गईं। “अब कोई डर का माहौल नहीं, कोई झगड़ा-झंझट नहीं,” उन्होंने कहा।

सड़क और कनेक्टिविटी पर उन्होंने दोहराया कि अब राज्य के किसी भी हिस्से से 6 घंटे में पटना पहुंचना संभव है। और रोजगार के मामले में बीपीएससी के जरिए पारदर्शी नियुक्तियाँ हो रही हैं।नीतीश का यह संबोधन साफ संदेश देता है बिहार की कहानी अब सुधार, सद्भाव और सिस्टम की मजबूती के नाम है।