Bihar Expressway:बिहार का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे,तीन राज्यों के 20 शहरों से होते हुए इन 8 जिलों में होंगी सीधी कनेक्टिविटी, फायदा ही फायदा
Bihar Expressway: बिहारवासियों के लिए एक अच्छी खबर है, तीन राज्यों को जोड़ने वाला एक्सप्रेसवे 8 जिलों से होकर गुजरेगा।यह उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के साथ भी सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

Bihar Expressway: बिहार के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। केंद्र सरकार ने बिहार के 8 जिलों को जोड़ने वाले एक नए एक्सप्रेसवे को मंजूरी दी है, जो न केवल बिहार के भीतर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, बल्कि तीन राज्यों—बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल—को भी सीधे जोड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के रूप में जाना जा रहा है, जिसकी कुल लंबाई 568 किलोमीटर होगी। इसमें से 417 किलोमीटर हिस्सा बिहार में होगा। इस परियोजना से बिहार के व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को नई गति मिलने की उम्मीद है।
एक्सप्रेसवे
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है, जिसका निर्माण उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक किया जाएगा। बिहार में यह एक्सप्रेसवे 8 जिलों—पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज—के 39 ब्लॉकों में 313 गांवों से होकर गुजरेगा। यह सड़क 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए डिज़ाइन की जाएगी, जिससे यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।
इस एक्सप्रेसवे पर गंडक, बागमती और कोसी जैसी प्रमुख नदियों पर कई पुलों का निर्माण भी किया जाएगा। बिहार के सड़क निर्माण मंत्री नितिन नबीन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत बेतिया, मोतिहारी, दरभंगा और मधुबनी जैसे जिला मुख्यालयों को एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए स्पर कनेक्टिविटी प्रदान करने की मांग की गई थी, जिसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने स्वीकार कर लिया है।
तीन राज्यों की कनेक्टिविटी
यह एक्सप्रेसवे बिहार को उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उत्तर प्रदेश में यह गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया जिलों से होकर गुजरेगा, जबकि पश्चिम बंगाल में यह सिलीगुड़ी तक पहुंचेगा। इस सड़क के बनने से दिल्ली और उत्तर-पूर्वी राज्यों (जैसे सिक्किम, असम, मेघालय आदि) के बीच यात्रा आसान हो जाएगी। इसके अलावा, यह नेपाल के साथ व्यापार को भी बढ़ावा देगा, क्योंकि बिहार के कई जिले नेपाल की सीमा से सटे हुए हैं।
लागत और आर्थिक प्रभाव
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे की अनुमानित लागत 38,645 करोड़ रुपये है, जिसमें से बिहार सरकार 27,552 करोड़ रुपये का योगदान देगी। इस परियोजना के पूरा होने से बिहार में न केवल परिवहन सुगम होगा, बल्कि आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा। इस एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारे, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, और पर्यटन स्थलों के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। खासकर पूर्वी चंपारण और किशनगंज जैसे जिलों में, जहां कृषि और जूट उद्योग पहले से ही मजबूत हैं, व्यापार को नया आयाम मिलेगा।
यात्रा समय में कमी
वर्तमान में गोरखपुर से सिलीगुड़ी की यात्रा में 12-13 घंटे लगते हैं, क्योंकि मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-27) पर ट्रैफिक का दबाव अधिक है। इस नए एक्सप्रेसवे के बनने से यह दूरी लगभग 6 घंटे कम हो जाएगी, जिससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। साथ ही, यह सड़क दिल्ली से सिलीगुड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों तक के सफर को भी आसान बनाएगी।
रोजगार सृजन
इस परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। टोल प्लाजा, ढाबे, दुकानें और अन्य छोटे-बड़े व्यवसाय इस सड़क के किनारे फलेंगे-फूलेंगे।
पर्यटन को बढ़ावा
बिहार के कई जिले, जैसे मधुबनी (मिथिला पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध) और सीतामढ़ी (सीता मंदिर), पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस एक्सप्रेसवे से इन स्थानों तक पहुंचना आसान होगा।
कृषि और व्यापार
सुपौल और अररिया जैसे जिले, जो कृषि पर निर्भर हैं, अब अपने उत्पादों को तेजी से बड़े बाजारों तक पहुंचा सकेंगे।हालांकि इस परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन जमीन अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी जैसी चुनौतियां अभी बाकी हैं। बिहार सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि इस सड़क को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि इसका लाभ लोगों तक पहुंच सके। इसके अलावा, बिहार में अन्य एक्सप्रेसवे जैसे रक्सौल-हल्दिया और पटना-पूर्णिया भी प्रस्तावित हैं, जो राज्य की कनेक्टिविटी को और मजबूत करेंगे।