पटना मेयर के बेटे ने नामांकन लिया वापस, टिकट नहीं मिलने से नाराज निर्दलीय लड़ने का किया था फैसला

पटना मेयर के बेटे ने नामांकन लिया वापस, टिकट नहीं मिलने से न

Patna -  पटना साहिब की राजनीतिक सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। पटना की मेयर सीता साहू के बेटे शिशिर कुमार ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भरा गया अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया है। शिशिर कुमार ने टिकट नहीं मिलने से नाराज़ होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, जिससे बीजेपी के लिए इस सीट पर मुश्किलें बढ़ गई थीं। उनकी उम्मीदवारी वापसी को सत्तारूढ़ दल के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।

शिशिर कुमार के इस फैसले के पीछे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुलाकात बताई जा रही है। ख़बरों के अनुसार, देश के गृह मंत्री के पटना दौरे के दौरान शिशिर कुमार से उनकी मुलाकात हुई थी। माना जा रहा है कि गृह मंत्री से हुई इस बातचीत के बाद ही शिशिर कुमार ने चुनाव मैदान से हटने का मन बनाया। इस हाई-प्रोफाइल हस्तक्षेप ने न सिर्फ़ एक बाग़ी उम्मीदवार को शांत किया, बल्कि पार्टी के भीतर के असंतोष को भी नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई।

नामांकन वापसी के दौरान, शिशिर कुमार ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया। वह अकेले नहीं, बल्कि भाकपा प्रत्याशी रत्नेश कुशवाहा के साथ पटनासिटी अनुमंडल कार्यालय पहुंचे। दोनों ने एक साथ अपना नाम वापस लिया और सार्वजनिक रूप से एकता का परिचय दिया। यह कदम क्षेत्र के वोटरों के बीच एक नए समीकरण और गठबंधन की राजनीति का संकेत देता है, जिसके निहितार्थ आगामी चुनाव में देखने को मिल सकते हैं।

इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से शिशिर कुमार के समर्थकों में मायूसी छा गई है। उनके समर्थक, जो उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जिताने के लिए कमर कस चुके थे, अब निराश हैं। शिशिर कुमार के इस कदम ने उनके राजनीतिक भविष्य और अगली रणनीति को लेकर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, नामांकन वापसी के इस निर्णय को राजनीतिक परिपक्वता और शीर्ष नेतृत्व के प्रति सम्मान के रूप में भी देखा जा रहा है।

कुल मिलाकर, पटना साहिब सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार शिशिर कुमार का नामांकन वापस लेना, इस चुनाव की राजनीति का एक निर्णायक मोड़ है। यह घटना दर्शाती है कि बड़े चुनाव में असंतुष्ट नेताओं को शांत करने के लिए शीर्ष नेतृत्व को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करना पड़ा। शिशिर कुमार की वापसी से अब इस सीट पर मुख्य मुकाबला और स्पष्ट हो गया है, जबकि भाजपा प्रत्याशी के साथ उनकी एकजुटता ने आगे की राजनीति की दिशा भी तय कर दी है।

रिपोर्ट - रजनीश