sanjeev mukhiya news: 'मैंने नौकरी और दाखिला बेचने की इंडस्ट्री खड़ी की 12 साल तक हर परीक्षा....' नीट पेपर लीक के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया का चौंकाने वाला कबूलनामा
sanjeev mukhiya news: नीट पेपर लीक मामले के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया ने जांच एजेंसियों के सामने चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने स्वीकार किया कि पिछले 12 वर्षों में वह कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय परीक्षाओं को प्रभावित करता रहा और पूरे सिस्टम को अपने क

sanjeev mukhiya news: बिहार में नीट पेपर लीक मामले में गिरफ्तार संजीव मुखिया का कबूलनामा एक बार फिर यह साबित करता है कि किस तरह शिक्षा व्यवस्था में जड़ तक फैले माफिया नेटवर्क न केवल छात्रों का भविष्य अंधकार में डालते हैं, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की कमजोरी को भी उजागर करते हैं।
बिहार का यह सबसे बड़ा परीक्षा माफिया अब पुलिस की गिरफ्त में है, और Economic Offences Unit (EOU) के सामने उसने कई राज उगले हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रभात खबर को मिले इनपुट के मुताबिक संजीव मुखिया ने न सिर्फ नीट, बल्कि BPSC, SSC, रेलवे, और यहां तक कि एम्स की परीक्षाओं में भी गहरी पैठ बना रखी थी।
परीक्षा माफिया का 12 साल लंबा साम्राज्य
प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक संजीव मुखिया ने पूछताछ में दावा किया कि 12 साल तक हर परीक्षा मेरी उंगलियों पर चलती थी। मैंने नौकरी और दाखिला बेचने की इंडस्ट्री खड़ी की थी। उसने 2008 में खगड़िया के अमित कुमार के साथ मिलकर इस रैकेट की नींव रखी थी। शुरुआत में यह नेटवर्क बिहार के अलग-अलग जिलों तक सीमित था, लेकिन जल्द ही इसने झारखंड और अन्य पड़ोसी राज्यों में भी पैर पसार लिए।
बेटे को डॉक्टर बनाने की चाहत में बना माफिया
संजीव की अपराध यात्रा की शुरुआत एक निजी महत्वाकांक्षा से हुई। उसने स्वीकार किया कि वह अपने बेटे शिव कुमार को डॉक्टर बनाना चाहता था, और इसके लिए 2016 में नीट परीक्षा का पेपर खरीद लिया। 2017 में बेटा पकड़ा गया, लेकिन सिस्टम में उसकी गहरी घुसपैठ के चलते वह बेनकाब होने से बचता रहा।इस घटना के बावजूद संजीव मुखिया पीछे नहीं हटा। उसने अपनी गतिविधियों को और व्यापक बनाया और कई परीक्षाओं को अपने नेटवर्क और लॉजिस्टिक सपोर्ट की मदद से प्रभावित किया।
पूरा सिस्टम अपने कब्जे में ले लिया
साल 2012 में महादलित विकास मिशन की क्लर्क भर्ती परीक्षा में ब्लूटूथ सेटिंग के जरिए पहली बार उसने अपना नेटवर्क सक्रिय किया। वह गिरफ्तार हुआ, लेकिन इससे उसका नेटवर्क टूटने के बजाय और भी मजबूत होता गया।संजीव ने अपने प्रभाव को स्कूल, कॉलेज, प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा केंद्रों और लॉजिस्टिक्स तक बढ़ा लिया था। वह सिर्फ एक रैकेट संचालक नहीं, बल्कि परीक्षा माफिया साम्राज्य का सिरमौर बन चुका था।
एजेंसियों के निशाने पर 32 मोबाइल नंबर और 17 बैंक खाते
ईओयू के अनुसार, संजीव मुखिया और उसके साथियों की पहचान कर ली गई है और 32 मोबाइल नंबर और 17 बैंक खातों की छानबीन की जा रही है। अब CBI भी इस मामले में एक्टिव हो गई है, और संभव है कि आगे की जांच में संजीव को फिर से रिमांड पर लिया जाए।
परीक्षा माफिया नेटवर्क कहां-कहां सक्रिय रहा?
NEET (नीट)
AIIMS (एम्स)
BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग)
SSC (कर्मचारी चयन आयोग)
Railway Recruitment (रेलवे भर्ती बोर्ड)
इन सभी परीक्षाओं के जरिए हजारों छात्रों का भविष्य अधर में डाला गया। ये खुलासे शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार और अपराधीकरण को उजागर करते हैं।