Indian Currency: नेपाल में भारतीय नोटों से हटा बैन, नेपाल ने 200-500 के नोटों पर से हटाया प्रतिबंध, हिमालयी सियासत में पिघली बर्फ़
Indian Currency: एक दशक से ज़्यादा समय से जारी पाबंदी को खत्म करते हुए नेपाल ने अब भारतीय उच्च मूल्य वर्ग की मुद्रा पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है।
Indian Currency: भारत-नेपाल संबंधों की सियासत में एक अहम मोड़ सामने आया है। एक दशक से ज़्यादा समय से जारी पाबंदी को खत्म करते हुए नेपाल ने अब भारतीय उच्च मूल्य वर्ग की मुद्रा पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। काठमांडू में हुई कैबिनेट बैठक के बाद लिया गया यह फैसला सिर्फ़ आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक संकेतों से भी भरपूर माना जा रहा है। नए प्रावधान के तहत अब नेपाली और भारतीय नागरिक 200 और 500 रुपये के भारतीय नोट अधिकतम 25,000 रुपये प्रति व्यक्ति तक अपने साथ रख सकते हैं।
नेपाल सरकार के इस फैसले को जमीनी हकीकत से जोड़कर देखा जा रहा है। मंत्री और सरकार के प्रवक्ता जगदीश खरेल के मुताबिक, भारत से नेपाल आते-जाते समय अब दोनों देशों के नागरिक उच्च मूल्य वर्ग के भारतीय नोट अपने साथ ला या ले जा सकेंगे। यह राहत खास तौर पर उन नेपालियों के लिए अहम मानी जा रही है, जो इलाज, शिक्षा और रोज़गार के सिलसिले में भारत का रुख करते हैं। अब उन्हें छोटे नोटों की झंझट और बार-बार की जांच से निजात मिलेगी।
भारतीय पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए भी यह फैसला सुकून की सांस जैसा है। अब तक नेपाल में 100 रुपये से अधिक मूल्य के भारतीय नोट रखने पर शक की निगाह और पूछताछ आम बात थी। नेपाल राष्ट्र बैंक के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रतिबंध के चलते न सिर्फ़ यात्रियों को परेशानी होती थी, बल्कि सीमा क्षेत्रों में व्यापार और आवाजाही भी प्रभावित हो रही थी।
दिलचस्प बात यह है कि इस कदम से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी बड़ा फैसला लिया था। आरबीआई ने पिछले महीने अधिसूचना जारी कर भारत से नेपाल और भूटान यात्रा के दौरान 100 रुपये से अधिक मूल्य की भारतीय मुद्रा ले जाने की अनुमति दी थी, हालांकि सीमा 25 हजार रुपये तय की गई थी। अब नेपाल सरकार के फैसले से दोनों देशों के नियमों में तालमेल साफ़ दिख रहा है।
बता दें कि नवंबर 2016 में भारत में 500 और 1000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के बाद नेपाल ने भी अपने यहां इन नोटों के इस्तेमाल पर सख़्त रोक लगा दी थी। तब से भारत-नेपाल सीमा के इलाकों में रहने वाले लोग इस प्रतिबंध को हटाने की मांग कर रहे थे।
अब सवाल यह है कि क्या यह फैसला सिर्फ़ यात्रियों की सुविधा तक सीमित रहेगा, या फिर भारत-नेपाल रिश्तों में नई गर्मजोशी और भरोसे की बुनियाद बनेगा। फिलहाल इतना तय है कि हिमालयी सियासत में जमी बर्फ़ पिघलनी शुरू हो चुकी है।