Bihar News:नीतीश सरकार की योजनाओं ने बिहार में बदल दी स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर, पीएमसीएच बन रहा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल
Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 20 वर्ष बिहार के विकास एवं बदलाव के रहे हैं। बिहार ने सभी क्षेत्रों में विकास के नये मापदंड स्थापित किये हैं, स्वास्थ्य उनमें से एक है।

Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 20 वर्ष बिहार के विकास एवं बदलाव के रहे हैं। बिहार ने सभी क्षेत्रों में विकास के नये मापदंड स्थापित किये हैं, स्वास्थ्य उनमें से एक है। 2005 से पहले बिहार की सरकारी अस्पतालों की हालत खास्ता थी। समय पर इलाज नहीं होने के कारण सरकारी अस्पतालों से लोगों का भरोसा उठ गया था। अस्पतालों के बेड पर मरीज की जगह कुत्ते सोते हुए दिखते थे। वर्ष 2005 के नवंबर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभालने के साथ ही स्वास्थ्य सेक्टर को अपनी प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा। इसके बाद अन्य सेक्टरों की तरह स्वास्थ्य सेक्टर में भी तेजी से सुधार होना शुरु हुआ।
स्वास्थ्य बजट में रिकॉर्ड वृद्धि
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवंबर 2005 में नई सरकार के गठन होने के पहले वर्ष 2004-05 में स्वास्थ्य विभाग का कुल बजट मात्र 705 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 20,035 करोड़ रुपये हो गया है। पहले सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की हालत खास्ताहाल थी। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव था। एक्स रे, पैथोलॉजी आदि जांच की सुविधाएं नहीं के बराबर थी। वर्ष 2005 तक राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल की संख्या 6 थी, वे भी 1990 के पूर्व ही बने थे और जर्जर हालत में थे। राज्य में वर्ष 1990-2005 के बीच एक भी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल नहीं बनाया गया।
राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर जोर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुरु से राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर रहा है। मुख्यमंत्री की सोच रही है कि मजबूरी में इलाज के लिए किसी को भी बाहर जाना न पड़े। अगर अपनी इच्छा और सुविधा के लिए कोई बाहर इलाज कराने जाना चाहता है तो इस पर किसी तरह की रोक नहीं है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर राज्य में मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल से लेकर जिला मॉडल अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की जा रही है। वर्तमान में राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल की संख्या 6 से बढ़कर 12 हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल को भी जोड़ा जाए तो यह संख्या 15 हो गई है। इसके अतिरिक्त राज्य में 20 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं। इस प्रकार अब इन 20 का निर्माण होने के बाद राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज की संख्या 35 हो जाएगी। इसके अतिरिक्त राज्य में 9 निजी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल भी संचालित हो रहे हैं। पटना में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के साथ-साथ अब दरभंगा में भी एक नये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का निर्माण किया जा रहा है।
पीएमसीएच बन रहा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल
पीएमसीएच को 5 हजार 462 बेड के अस्पताल के रुप में पुनर्विकसित कर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) पुनर्विकास परियोजना के अंतर्गत 3 मई को टावर 01 और टावर 02 के 1,117 बेड के अस्पताल का उद्घाटन किया। मार्च 2027 तक पीएमसीएच को 5 हजार 462 बेड के अस्पताल के रुप में पुनर्विकसित करने का लक्ष्य है। इस परियोजना के पूर्ण होने के उपरांत यह भारत का सबसे बड़ा एवं विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बन जायेगा। राज्य के अन्य 5 पुराने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को भी 2 हजार 500 बेड के रुप में विकसित किया जा रहा है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना को भी 3 हजार बेड के अस्पताल के रुप में विकसित किया जा रहा है। इसके साथ ही मुजफ्फरपुर में 425 करोड़ रुपये की लागत से होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों का बढ़ा भरोसा
बिहार में अस्पतालों के लिए नए भवन बनाने, डॉक्टरों के साथ ही अन्य मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति एवं दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। जिसके फलस्वरुप सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों का विश्वास एवं भरोसा बढ़ा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में मुफ्त दवा की व्यवस्था उपलब्ध करायी गयी है। वर्ष 2006 में तत्कालीन उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत द्वारा मुफ्त दवा वितरण का शुभारंभ पटना के गार्डिनर रोड अस्पताल में किया गया। आज सरकारी अस्पतालों में 500 से अधिक दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता था कि वर्ष 2005 में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर महीने में सिर्फ 39 मरीज ही इलाज के लिए आते थे। अब यह आंकड़ा बढ़कर महीने में 11 हजार के पार चला गया है। लोगों का भरोसा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति बढ़ने का ही यह परिणाम है। सरकारी अस्पतालों में उमड़ रही भीड़ खुद इसकी गवाही दे रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का दिखने लगा असर
स्वास्थ्य सेवाओं में हो रहे सुधार का परिणाम अब दिखने लगा है। बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के साथ ही शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर में गिरावट आयी है। सरकार के प्रयास से अब यह राष्ट्रीय औसत से नीचे आ गया है। मई 2022 में हुए सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे(एसआरएस) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। राज्य में शिशु मृत्यु दर 2005-06 में जहां प्रति एक हजार जन्म पर 60 था, जो अब घटकर 27 हो गया है। 2005 में जहां एक लाख पर मातृ मृत्युदर 312 था, जो अब घटकर 118 पर आ गया है। राज्य स्वास्थ्य समिति ने 2030 में मातृ मृत्यु दर को घटाकर 70 करने का टारगेट रखा गया है। वर्ष 2006 में बिहार में टीकाकरण की दर सिर्फ 18 प्रतिशत था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व में की गई लगातार कोशिशों का नतीजा है कि आज यह दर बढ़कर 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है। अब अगला लक्ष्य बिहार को टीकाकरण के मामले में टॉप 5 राज्यों में ले जाना है।
मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से निर्धन मरीजों को मिल रही है मदद
वर्ष 2006-07 से मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष का गठन कर निर्धन मरीजों को उच्चतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए राशि दी जा रही है। वर्ष 2006-07 से लेकर अब तक कुल 01 लाख 96 हजार 593 मरीजों को 1,545 करोड़ से अधिक की राशि अनुदान के रुप में दी गई है। मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष योजना के तहत बिहार सरकार असाध्य रोगों से ग्रसित वैसे लोग जिनका वार्षिक आय ढाई लाख रुपये से कम है, उन्हें आर्थिक सहायता देती है। इसके तहत 14 असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए राशि मुहैया करायी जाती है। इसमें राज्य के बाहर इलाज कराने पर भी सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत 20 हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक की सहायता दी जाती है।
बच्चों में होने वाली जन्मजात बीमारियों का हो रहा है सफलतापूर्वक इलाज
सात निश्चय-2 के तहत बच्चों में होने वाली जन्मजात बीमारी का मुफ्त इलाज कराने की योजना शुरू की गयी। इस योजना के तहत बच्चों के दिल में छेद होने पर उनको अहमदाबाद भेजकर मुफ्त में इलाज कराया जा रहा है। अहमदाबाद में अभी तक 794 बच्चों का ऑपरेशन हो चुका है। इसी प्रकार से राज्य के अंदर आइजीआइएमएस में 198 बच्चों का और आइजीआइसी में 24 बच्चों का ऑपरेशन मुफ्त में किया गया है।
5 लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज की सुविधा
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का नि:शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। लाखों लोग इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।