Bihar School News: अब पढ़ाई भी मुफ्त, रहना भी मुफ्त, नीतीश कुमार का अल्पसंख्यक छात्रों को बड़ा तोहफा, यहां बनेंगे आवासीय विद्यालय

Bihar School News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश के अल्पसंख्यक छात्रों के कल्याण और उनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है।

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अब पढ़ाई भी मुफ्त, रहना भी मुफ्त- फोटो : social Media

Bihar School News: बिहार की राजनीति में एक बार फिर सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की मजबूत तस्वीर उभरकर सामने आई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश के अल्पसंख्यक छात्रों के कल्याण और उनके उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। राज्य सरकार ने किशनगंज और दरभंगा में बिहार राज्य अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालयों के निर्माण का निर्णय लिया है, जहां पढ़ाई भी पूरी तरह निःशुल्क होगी और रहने की सुविधा भी मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा हथियार मानते हुए लगातार ठोस फैसले ले रही है। इन्हीं फैसलों की कड़ी में अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालयों में दिसंबर महीने से नामांकन प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जानकारी के अनुसार आवेदन की अंतिम तिथि 30 दिसंबर निर्धारित की गई है, ताकि अधिक से अधिक पात्र छात्र इसका लाभ उठा सकें।

इन विद्यालयों में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ सुरक्षित और अनुशासित आवासीय वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा। शिक्षा के साथ-साथ छात्रों के स्वास्थ्य, चरित्र निर्माण और सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन की सुविधा दी गई है। सत्र 2025–26 के लिए कला एवं विज्ञान संकाय में कक्षा-9 और कक्षा-11 में नामांकन होगा।

सरकार ने सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए 75 प्रतिशत सीटें ग्रामीण छात्रों के लिए आरक्षित की हैं, जिनमें 50 प्रतिशत सीटें बालिकाओं के लिए होंगी। साथ ही राज्य सरकार के आरक्षण प्रावधान भी पूरी तरह लागू किए जाएंगे। कक्षा-9 के लिए आयु सीमा 16 वर्ष और कक्षा-11 के लिए 18 वर्ष तय की गई है।

बता दें कि वर्ष 2005 से पहले बिहार की शिक्षा व्यवस्था बदहाली का शिकार थी, लेकिन आज नीतीश कुमार के नेतृत्व में शिक्षा हर वर्ग के लिए विकास का मजबूत आधार बन चुकी है। यह निर्णय न सिर्फ अल्पसंख्यक छात्रों को सशक्त करेगा, बल्कि बिहार को शैक्षणिक रूप से और अधिक मजबूत बनाएगा।