नीतीश कुमार का बिहार स्वास्थ्य मॉडल देश में बना नजीर, मंत्री अशोक चौधरी ने गिनाया 20 वर्ष में बिहार बीमार तंत्र से आरोग्य युग का सफर

अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार के बीस साल के शासन में बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं में देश के सामने नजीर पेश हुआ है.

Nitish Kumar/Ashok Chaudhary
Nitish Kumar/Ashok Chaudhary- फोटो : news4nation

Bihar News:  बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने रविवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के सशक्त, संवेदनशील और दूरदर्शी नेतृत्व में विगत दो दशकों में स्वास्थ्य व्यवस्था ने जो ऐतिहासिक परिवर्तन देखा है, वह केवल आंकड़ों की नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता में आए मूलभूत बदलाव की कहानी है। यह परिवर्तन एक विचार, एक प्रतिबद्धता और एक सुशासन दृष्टिकोण का प्रतिफल है — जिसकी आधारशिला 2005 में रखी गई थी और जो आज एक सशक्त, समावेशी तथा सर्वसुलभ स्वास्थ्य तंत्र के रूप में बिहार की पहचान बन चुकी है। उन्होंने कहा कि 2005 के पूर्व बिहार की स्थिति किसे स्मरण नहीं — एक ऐसा राज्य जहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था खुद बीमार थी। अस्पताल वीरान, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति जर्जर, चिकित्सक अनुपस्थित और संसाधनों का घोर अभाव था। परंतु 2005 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शासन की बागडोर संभाली, तभी से 'न्याय के साथ विकास' की अवधारणा को केंद्र में रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का बीजारोपण हुआ।"

उन्होंने कहा कि "बिहार में 2005 के पहले की स्वास्थ्य व्यवस्था और आज की व्यवस्था में जो अंतर है, वह मात्र आंकड़ों का नहीं, बल्कि सोच, संकल्प और संवेदनशील शासन का प्रमाण है।  पिछले दो दशकों में राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो ऐतिहासिक कायाकल्प हुआ है, वह पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन चुका है।" उन्होंने कहा कि "बिहार में न केवल आधारभूत संरचना का सुदृढ़ीकरण हुआ, बल्कि मानवीय संसाधनों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई। 2005 में जहाँ केवल 4,000 MBBS डॉक्टर कार्यरत थे, आज उनकी संख्या 13,000 से अधिक हो चुकी है। अभी तक 12 मेडिकल कॉलेजों की स्थापना तथा आगामी वर्षों के लिए  22 नए चिकित्सा महाविद्यालय प्रस्तावित हैं। 

चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों की स्थापना 

चौधरी ने आगे बताया कि बिहार सरकार राज्य में चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ एवं सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध रही है। गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा, आधुनिक तकनीक एवं उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने हेतु राज्य में नये चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों की स्थापना की व्यापक नीति पर कार्य किया गया है। इसके अंतर्गत 5 जिलों—पूर्णिया, बेतिया (पश्चिम चंपारण), मधेपुरा, समस्तीपुर एवं छपरा (सारण)—में राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और सभी पाँच परियोजनाएं क्रियाशील अवस्था में हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि इसके अतिरिक्त 10 अन्य जिलों—सीतामढ़ी, झंझारपुर (मधुबनी), सीवान, बक्सर, जहानाबाद, जमुई, बेगूसराय, महुआ (वैशाली), मुंगेर, भोजपुर (आरा) एवं सुपौल—में भी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल निर्माणाधीन हैं। मोतिहारी, गोपालगंज एवं सहरसा में निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है और शीघ्र कार्य प्रारंभ किया जाएगा। माननीय मुख्यमंत्री द्वारा घोषित प्रगति यात्रा की घोषणाओं के क्रम में बांका, अररिया, खगड़िया, औरंगाबाद, कैमूर, नवादा एवं जहानाबाद में भी चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना हेतु प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इस प्रकार राज्य में सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों एवं अस्पतालों की संख्या बढ़कर 34 हो जाएगी, जो 2005 में मात्र 7 थी। इसके अतिरिक्त रोहतास, कटिहार एवं किशनगंज में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित चिकित्सा महाविद्यालय कार्यरत हैं। साथ ही बेतिया, सिवान, लखीसराय एवं शेखपुरा जिलों में केंद्रीय सहयोग से मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना भी क्रियान्वित की जाएगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ अधिकतम जनता तक पहुँचाया जा सकेगा।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा AIIMS-पटना जैसी संस्थाओं का विस्तार, टेलीमेडिसिन नेटवर्क, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स, और मातृ-मृत्यु दर में 60% तक की कमी — ये सभी नीतीश कुमार की दृढ़ प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण क्षमता का परिणाम हैं।" चौधरी ने यह भी कहा कि "जननी बाल सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, मुफ्त दवा वितरण और निःशुल्क जांच सेवाएं अब बिहार के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुँच रही हैं। यह एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ गरीब को सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवा का अधिकार सुलभ हुआ है।" उन्होंने कहा कि "आर्थिक सर्वेक्षण 2023–24 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यय की हिस्सेदारी में लगातार अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है, जिससे न केवल चिकित्सा संरचना सुदृढ़ हो रही है, बल्कि जनता का भरोसा भी संस्थागत हो रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में जो संवेदनशीलता, तत्परता और तकनीकी दक्षता प्रदर्शित की गई, उसकी प्रशंसा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई।"

मुफ्त दवा आपूर्ति में प्रथम 

चौधरी ने बताया कि नेता के विज़न ने बिहार को स्वस्थ्य क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पटल पर लाकर खड़ा किया है । स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण, सार्वभौमिक पहुँच और समेकित सेवा वितरण में बिहार ने देशभर में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। भारत सरकार के DVDMS पोर्टल के अनुसार मुफ्त दवा आपूर्ति एवं वितरण में 15 सितंबर 2024 से बिहार लगातार प्रथम स्थान पर है। यूनीन पोर्टल के अनुसार बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण में भी बिहार देश में पहले स्थान पर है। मार्च 2024 में महज़ 7 दिनों के भीतर एक करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाकर बिहार ने राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किया। डिजिटल ओपीडी पंजीकरण में राज्य ने लगभग 90% स्कैन एंड शेयर के अनुपात के साथ दो करोड़ से अधिक लाभार्थियों को जोड़ा है, जिससे बिहार देश में पहले स्थान पर है। इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स के दैनिक एवं मासिक संधारण में भी राज्य का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम है।

नया मानक स्थापित
अशोक चौधरी ने कहा — "आज हम बिहार के लोग गर्वपूर्वक कह सकते हैं कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था केवल बीमारियों के उपचार तक सीमित नहीं, बल्कि समग्र लोककल्याण और सामाजिक न्याय की आधारशिला बन चुकी है। और यह परिवर्तन किसी एक योजना का नहीं, बल्कि एक युगदृष्टा नेतृत्व की सतत सोच, नीति और निष्ठा का परिणाम है — विकास पुरुष, माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के कारण ही यह संभव हो पाया है। उन्होंने बिहार को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाकर देश के समक्ष एक नया मानक स्थापित किया है।"